अमेरिका के दो जंगी जहाज विवादित द्वीपों के करीब से गुजरे, चीन ने जताया ऐतराज
वॉशिंगटन/बीजिंग. दक्षिण चीन सागर के विवादित द्वीपों के करीब से अमेरिका के दो जंगी जहाज गुजरे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका की इस हरकत पर चीन ने ऐतराज जताया है। चीन की नौसेना ने अमेरिका के जंगी जहाजों के गुजरने पर कहा कि वॉशिंगटन मुसीबत को बढ़ाना चाहता है।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, यूएसएस स्प्रुआंस और यूएसएस प्रेबल विवादित क्षेत्र में स्थित द्वीपों के 12 नॉटिकल मील की दूरी से निकले। अमेरिकी नौसेना ने इस अभियान को “फ्रीडम ऑफ नेविगेशन’ नाम दिया है।
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार के दौरान इस तरह के कदम पर बीजिंग नाराज है। अमेरिका और चीन के बीच इस पर वार्ता चल रही है। क्योंकि, अमेरिका 200 बिलियन डॉलर के चीनी आयात पर कर सीमा 10% से बढ़ाकर 25% कर सकता है।
बीजिंग ने अमेरिकी जंगी जहाज विवादित क्षेत्र में आने पर विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा- यूएस हमारे जल सीमा का उल्लंघन कर रहा है। अमेरिका दक्षिण चीन सागर में मुसीबतों को बढ़ाना चाहता है। वह शांति को खत्म कर और तनाव को बढ़ाना चाहता है।
अमेरिकी नौसेना की 7वीं फ्लीट के प्रवक्ता कमांडर क्ले डॉस ने कहा- सोमवार का ऑपरेशन अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार समुद्री रास्तों में यात्रा को सुचारू रखने और बेवजह के मैरीटाइम दावों को चुनौती देने के लिए चलाया गया।
डॉस ने कहा, “सभी ऑपरेशन अंतरराष्ट्रीय नियमों को ध्यान में रखकर किए जाते हैं। अमेरिका यह दिखाना चाहता है कि जहां भी अंतराराष्ट्रीय नियम इजाजत देंगे हम वहां उड़ेंगे और समुद्री यात्राएं करेंगे। यह सत्य दुनिया के किसी भी हिस्से की तरह दक्षिण चीन सागर पर भी लागू होता है।’
दक्षिण चीन सागर में इस साल अमेरिका का यह दूसरा अभियान है। जनवरी में अमेरिका का युद्धपोत डिस्ट्रॉयर यूएसएस मैककैम्पबेल पारासेल द्वीप के 12 नॉटिकल मील दूरी से गुजरा था।
- दक्षिण चीन सागर का करीब 35 लाख स्क्वेयर किमी एरिया विवादित है। इस पर चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई दावा करते रहे हैं।
- इस समुद्र से हर साल 5 लाख करोड़ यूएस डॉलर से ज्यादा का व्यापार होता है। यहां तेल और गैस के बड़े भंडार हैं। अमेरिका के मुताबिक, इस इलाके में 213 अरब बैरल तेल और 900 ट्रिलियन क्यूबिक फीट नैचुरल गैस के भंडार हैं।
- वियतनाम इस इलाके में भारत को तेल खोजने की कोशिशों में शामिल होने का न्यौता दे चुका है। चीन ने 2013 के आखिर में एक बड़ा प्रोजेक्ट चलाकर पानी में डूबे रीफ एरिया को आर्टिफिशियल आईलैंड में बदल दिया था।
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Source: bhaskar international story