ज्योतिषराज्यहोम

” आत्म शुद्धि ” के अर्चना, आराधना होती है – मुनि पीयूष सागर

ध्वजारोहण और मंडल कलश स्थापना के साथ पदमपुरा में शुरू हुआ नवदिवसीय भगवत जिन पदमप्रभ महार्चना एवं विश्वकल्याण कामना महायज्ञ

जयपुर। अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा दिगम्बर जैन मंदिर में नवदिवसीय नवरात्रा भगवत जिन पदमप्रभ महार्चना एवं विश्वकल्याण कामना महायज्ञ का शुभारम्भ अंतर्मना मुनि प्रसन्न सागर महाराज एवं मुनि पीयूष सागर महाराज और गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ससंघ सानिध्य में प्रातः 7 बजे ईशागढ निवासी हर्षित, राजेश जैन परिवार द्वारा ध्वजारोहण कर किया गया।
समिति मंत्री हेमंत सोगानी ने बताया की नवदिवसीय भगवत जिन पदमप्रभ महार्चना विधान पूजन मंडल शुद्धि संस्कार व आचार्य, मुनि आमंत्रण संस्कार विधि क्रिया कर बाल बह्मचारी तरुण भईया, इंदौर के निर्देशन में प्रारम्भ हुई। संस्कार क्रिया विधि पश्चात् मंडल पर कलश स्थापित किये गए। कलश स्थापन पश्चात् विधान पूजन की क्रिया विधि संगीत, भजन साथ प्रारम्भ हुई और सभी इन्द्रो सहित श्रावको ने अपने कर्मो की निर्जरा की कामना के साथ अष्ट द्रव्यों से विधान पूजन किया, जिसमे सभी श्रावको ने जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेघ, दीप, धूप, फल के साथ अर्घ चढ़ा सम्पूर्ण जयमाला महार्घ चढ़ाये। मुनि प्रसन्न सागर महाराज संघस्थ मुनि पीयूष सागर महाराज ने विधान पूजन में सम्मिलित श्रावको को सम्बोधित करते हुए कहा की
” भगवत जिन महार्चना का यह विधान कर्मो की निर्जरा का प्रतीक है जिसमे सम्मिलित होने वाला श्रावक और श्राविकाएँ अपने आत्म शुद्धि की और अग्रसर होकर जिनेन्द्र प्रभु की अर्चना और आराधना कर सकते है, पूजन, भक्ति आत्म शुद्धि का वो द्वार है जिसमे प्रवेश करने के पश्चात् प्रत्येक श्रावक का जीवन धन्य और सौभाग्यशाली बन जाता है। इस जगत प्रत्येक प्राणी को अपनी आस्था और श्रद्धा पर विश्वास कर अर्चना, आराधना करनी चाहिए, यह आत्म शुद्धि का सबसे प्रमुख द्वार है। ”
मिडिया प्रभारी अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया की महार्चना प्रथम से ही विधान पूजन में श्रावक और श्राविकाएँ देशभर से उमड़ने प्रारम्भ हो गए गुरूवार को 21 जोड़ो सहित 50 से अधिक एकल में श्रावको ने विधान पूजन कर अर्घ चढ़ाये। सायंकालीन में मूलनायक पदमप्रभ भगवान की महामंगल आरती एवं सामूहिक चलीसा का आयोजन किया गया जिसमे श्रावको ने श्रद्धा – भक्ति के साथ मंगल आरती की और गुरु आरती की, आरती के पश्चात् मुनि पीयूष सागर महाराज एवं गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ससंघ सानिध्य में गुरुभक्ति का आयोजन हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *