गन कल्चर के खिलाफ खास पहल; जनता से हथियार खरीद रही सरकार, 50 दिन में लोगों ने 12 हजार बंदूकें लाैटाईं
न्यूजीलैंड (शार्लोट ग्राहम मैक्ले) 15 मार्च को क्राइस्टचर्च आतंकी हमले के बाद न्यूजीलैंड ने अनूठी पहल की है। सरकार गन बाय-बैक स्कीम मंे लोगों से हथियार खरीद रही है। 20 जून को स्कीम लागू होने के बाद से लाेगों ने 50 दिनों में 12,183 हथियार लौटाए हैं। इसमें 11 हजार हथियार प्रतिबंधित श्रेणी के हैं। सरकार ने इनके बदले 73 करोड़ रुपए लोगों को दिए हैं। स्कीम के लिए 200 मिलीयन डॉलर (920 करोड़ रुपए) का बजट है।
न्यूजीलैंड सरकार भी नहीं जानती कि लाेगों के पास कितने हथियार हैं। हालांकि एक अनुमान के अनुसार वैध और प्रतिबंधित मिलाकर लोगों के पास 12 लाख हथियार हैं। जबकि न्यूजीलैंड की आबादी 47.9 लाख है। यानी हर चौथे शख्स के पास एक गन है। लोगों को उनकी बंदूकों का भुगतान करने के लिए एक खास फॉर्मूला तैयार किया गया है। जो बंदूकें खराब हालत में हैं, उसके बदले में कीमत का 25% तक भुगतान किया जा रहा है, जबकि अच्छी बंदूकों के लिए 95% तक भुगतान किया जा रहा है।
एक अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार न्यूजीलैंड में लोगों के पास सैन्य-शैली की सेमी-ऑटोमेटिक बंदूकें भी हैं, जिनकी कीमत 7 लाख रुपए से 70 लाख रुपए है। क्राइस्टचर्च हमले में 51 लोगों की मौत के बाद सेमी ऑटोमैटिक गन्स पर प्रतिबंध के लिए न्यूजीलैंड की पूरी संसद एकजुट हो गई। संसद में कानून के पक्ष में 119 वोट पड़ेे। केवल एक ही सांसद ने विरोध किया। इस मामले में साउथ ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी में लॉ प्रोफेसर रिक सरे कहते हैं कि अब न्यूजीलैंड भी ऑस्ट्रेलिया की कतार में आ जाएगा। वहां 1996 में पोर्ट ऑर्थर में ऐसी ही घटना में 35 लोग मारे गए थे। इसके बाद वहां हथियारों पर प्रतिबंध लगाया गया था।
ऑस्ट्रेलिया सरकार के स्मॉल आर्म्स सर्वे 2017 के अनुसार दुनिया में 85.7 करोड़ लोगों के पास फायरआर्म होने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में कड़े कानूनों और नियामक जांचों के बावजूद रजिस्टर्ड फायरआर्म्स की संख्या 97 लाख है। अन रजिस्टर्ड फायरआर्म्स की संख्या 6.1 करोड़ होने का अनुमान है।
लाइसेंस मांगने वालों की सोशल मीडिया की जांच होगी
न्यूजीलैंड सरकार विदेशी पर्यटकों के गन खरीदने पर रोक लगाने वाली है। लाइसेंस मांगने वालों के सोशल मीडिया की भी जांच होगी। देखेंगे कि वे आतंकी कंटेंट तो फॉलो नहीं कर रहे हैं। लाइसेंस की अवधि दस साल से घटाकर पांच साल की जा सकती है। गन के विज्ञापनों पर भी रोक लगेगी।
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Source: bhaskar international story