पाक ने मालदीव की संसद में अनुच्छेद 370 का मुद्दा उठाया, भारत ने कहा- यहां हमारा आंतरिक मसला उठाना गलत
नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का मसला उठाने के बाद एक बार फिर भारत ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई। मालदीव की संसद में साउथ एशियन स्पीकर समिट के दौरान पाकिस्तान के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने इस मंच पर कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का मुद्दा उठाने की कोशिश की। इस पर राज्यसभा के उपसभापतिहरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि इस मंच पर भारत का आंतरिक मुद्दा उठाने पर हम पाकिस्तान की निंदा करते हैं। हरिवंश ने कहा कि हम इस मंच के राजनीतिकरण करने के पाकिस्तान के प्रयासों का विरोध करते हैं, यह मुद्दा भी सम्मेलन की थीम से अलग है। मालदीव में भारतीय दल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का अगुआई में गया है।
पाक सांसद ने कहा- हम कभी आतंकवाद के पक्षधर नहीं रहे
हरिवंश के बयान के जवाब में पाक सांसद कुर्रतुल एनमारी ने कहा- स्थायी विकास के लक्ष्यों को तब तक हासिल नहीं किया जा सकता है, जब तक महिलाओं और युवाओं को उनके मानवाधिकार ना मिलें। कश्मीरियों पर अत्याचार किया जा रहा है। पाकिस्तान कभी भी आतंकवाद का पक्षधर नहीं रहा है।इस पर मालदीव संसद के सभापति मो. नशीद ने मारी को रोक दिया और दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच जारी तीखी बहस को खत्म करने का प्रयास किया।
सम्मेलन में पाकिस्तान के वक्ता कासिम सूरी ने कहा- हम कश्मीरियों की स्थिति को नजरंदाज नहीं कर सकते हैं, जो कष्ट सह रहे हैं। कश्मीरी अन्याय का सामना कर रहे हैं।
हरिवंश ने कहा- जिस देश ने 1971 में नरसंहार को अंजाम दिया था और आजाद कश्मीर पर अवैध तरीके से कब्जा किया, उसे इस मसले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा- आजाद जम्मू-कश्मीर कभी भी कोई राज्य या देश नहीं था। यह भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और हमारे संविधान द्वारा संचालित किया जाता है।
राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर ने कहा- यह सम्मेलन स्थायी विकास के लक्ष्यों पर चर्चा के लिए बुलाया गया है। जो मसला पाकिस्तान द्वारा यहां उठाया गया है, उसे कार्यवाही का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
इससे पहले, कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में गुप्त बैठक हुई थी। इसके 5 स्थाई और 10 अस्थाई सदस्यों में पाक को चीन के अलावा किसी भी देश का साथ नहीं मिला था। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान और उसके सहयोगी चीन द्वारा इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश नाकाम रही थी।
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Source: bhaskar international story