वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में बनाया मिनी ब्रेन, मोटर न्यूरॉन बीमारी से निपटने में कारगर साबित होगा
लंदन.वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में मिनी ब्रेन बनाया है। मांसपेशियों पर नियंत्रण रखने के अलावा इसे रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड) से जोड़ा जा सकेगा। इस खोज को स्ट्रोक और मोटर न्यूरॉन बीमारी से पीड़ित लोगों के इलाज में कारगर माना जा रहा है। इस आर्टिफिशियल ब्रेन का आकार मसूर की दाल जितना बताया जा रहा है। मोटर न्यूरॉन बीमारी से मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग पीड़ित थे।
इस मिनी ब्रेन को जानवरों में जोड़कर देखकर इसका असर देखा गया। कैंब्रिज में शोधकर्ता मैडलीन लंकास्टर का कहना है कि अभी तक इसके अच्छे परिणाम रहे हैं। फिलहाल इस पर रिसर्च जारी है।
मिनी ब्रेन को इंसान से ली गई स्टेम सेल से ही तैयार किया गया। शोधकर्ताओं ने ऐसी तकनीक ईजाद की जिसमें ऑर्गेनॉइड्स को लंबे समय तक जीवित रखा जा सके।
एक शोधकर्ता ने एक झिल्ली (जिससे हवा और तरल आ-जा सके) पर सेरेब्रल ऑर्गेनॉइड्स पैदा करने का तरीका विकसित किया। इससे मांसपेशियों में पोषक तत्वों से युक्त तरल और ऑक्सीजन जा सकेगी। मिनी ब्रेन का यह मॉडल लंबे समय तक काम करेगा। मिनी ब्रेन कुछ वैसा ही स्ट्रक्चर है जैसा 12-16 हफ्ते की गर्भावस्था के दौरान बच्चे में तैयार होता है।
डॉ. लंकास्टर के मुताबिक- हम लोग कई बार एक चरण आगे जाने की बात करते हैं। यह एक अच्छा विचार है। लेकिन हम अभी भी अपने लक्ष्य से काफी दूर हैं। अभी भी स्किजोफ्रेनिया (सिजोफ्रेनिया), ऑटिज्म और अवसाद जैसी बीमारियों का इलाज खोजा जाना बाकी है।
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Source: bhaskar international story