अमेरिका ने कहा- भारत के परीक्षण का अध्ययन कर रहे, अंतरिक्ष में बढ़ रहा कचरा चिंताजनक
मियामी. अमेरिका ने कहा है कि वह भारत के एंटी-सैटेलाइट टेस्ट का अध्ययन कर रहा है। साथ ही अंतरिक्ष में बढ़ रहे कचरे को लेकर चिंता जताई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ऐलान किया था कि भारत ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिराने की क्षमता हासिल कर ली है। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है।
भारत ने बुधवार को धरती से 300 किमी दूर लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में एक सैटेलाइट को ए-सैट मिसाइल से मार गिराया था। इस काम को महज 3 मिनट में अंजाम दिया गया था।
कार्यवाहक अमेरिकी रक्षा मंत्री पैट्रिक शैनहन ने दुनिया के ऐसे किसी भी देश को चेतावनी दी जो भारत जैसे एंटी-सैटेलाइट परीक्षण के लिए विचार कर रहा है। शैनहन ने कहा कि हम अंतरिक्ष में मलबा छोड़कर नहीं आ सकते।
शैनहन के मुताबिक- हम सभी अंतरिक्ष में रह रहे हैं, लिहाजा यहां मलबा इकट्ठा न करें। अंतरिक्ष वह जगह है, जहां हम कारोबार कर सकते हैं। स्पेस की वह जगह है जहां लोगों को कुछ भी ऑपरेट करने की आजादी होना चाहिए। हालांकि रिपोर्टर्स से बात करने के दौरान शैनहन ने भारत के टेस्ट से कचरा बढ़ने की बात नहीं कही।
अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि आप अंतरिक्ष को अस्थिर नहीं कर सकते। हम वहां (अंतरिक्ष में) मलबे की समस्या खड़ी नहीं कर सकते, जैसा ए-सैट परीक्षणों में हो रहा है। दूरगामी प्रभाव के लिए हमें विचार करना चाहिए।
शैनहन ने अंतरिक्ष में दुनिया के बढ़ रहे दखल के मद्देनजर कुछ नियम बनाने को कहा। उनके मुताबिक- अंतरिक्ष में कुछ स्थापित या कुछ खत्म करने के लिए नियम होने चाहिए। इनका न होना चिंताजनक है। इसलिए कैसे लोग तकनीक का परीक्षण करते हैं और विकसित करते हैं, यह अहमियत रखता है। मैं ऐसे व्यक्ति से अपेक्षा करूंगा कि जो परीक्षण के चलते किसी और की संपत्ति को खतरे में नहीं डाले।
उधर, भारतीय विदेश मंत्रालय ने सैटेलाइट नष्ट होने के बाद कचरे के खतरे से इनकार किया। मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया कि टेस्ट लो ऑर्बिट में किया गया, लिहाजा कचरा खुद ब खुद खत्म हो जाएगा और धरती पर गिर जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के दिए संबोधन में कहा था कि अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा चौथा देश बन गया है, जिसने अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिराने की ताकत हासिल कर ली है। अमेरिका ने 1959 में पहला एंटी-सैटेलाइट टेस्ट किया था।
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Source: bhaskar international story