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अमेरिका: 29 साल के दो युवाओं ने समुद्र के ईको सिस्टम को बचाने के लिए बहामास में दुनिया की पहली कोरल फर्म खोली



न्यूयॉर्क .जलवायु परिवर्तन का असर न सिर्फ तापमान पर पड़ रहा है, बल्कि समुद्र के अंदर की कोरल रीफ (मूंगे की चट्‌टान) भी खत्म हो रही है। पिछले 30 साल में दुनिया से आधी से ज्यादा कोरल रीफ प्रदूषण से खत्म हो चुकी है। इसके चलते दुनिया के सामने समुद्री ईको सिस्टम को बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। इसी दिशा में अमेरिका के दो आंत्रप्रेन्योर ने भी कदम उठाए हैं। उन्होंने कैरेबियन द्वीप के बहामास में दुनिया की पहली कमर्शियल कोरल फर्म खोली है। इनके नाम सैम टीचर और गैटोर हाल्पर्न हैं। दोनों की उम्र 29 साल है।

टीचर और हाल्पर्न ने अमेरिका के येल स्कूल ऑफ फॉरेस्टरी एंड एन्वायरनमेंटल स्टडीज से पढ़ाई की है। अब वे कोरल रीफ को जमीन पर बने पानी के टैंक में उगाकर समुद्र में डाल रहे हैं। यह आइडिया इन्हें मॉरीशस में एक प्रोजेक्ट में काम करने के दौरान आया। वहां उन्होंने देखा कि रीफ खत्म होने से समुद्र का ईको सिस्टम बिगड़ रहा है। मछलियां मर रही हैं। इसके बाद दोनों ने कोरल वीटा नाम का स्टार्टअप बनाया। मकसद, दुनियाभर में समुद्र के अंदर रीफ को स्थापित करना और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को समझाना है। टीचर और हाल्पर्न ने पिछले महीने ही 14 करोड़ रुपए की लागत से बहामास में पहला कोरल रीफ फर्म खोला है।

ऐसे बनाते हैं: माइक्रोफ्रेगमेंटेशन तकनीक और समुद्र की रीफ की मदद से बनाते हैं

टीचर और हाल्पर्न रीफ्स बनाने के लिए माइक्रोफ्रेगमेंटेशन तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें समुद्र से ही रीफ लेकर उनके छोटे-छोटे हिस्से किए जाते हैं। ये समुद्र की तुलना में जमीन पर बनी टंकी में 50 गुना तेज रफ्तार से बढ़ते हैं। फिर इन रीफ्स को समुद्र में स्थापित कर दिया जाता है।

2050 तक: दुनिया की सभी कोरल रीफ्स खत्म हो जाएंगी, ग्रेट बैरियर रीफ आधी नष्ट

रीफ के खत्म होने को कोरल ब्लीचिंग कहा जाता है। ऐसा समुद्र का तापमान बढ़ने से होता है। ऑस्ट्रेलिया की मशहूर ग्रेट बैरियर रीफ आधी खत्म हो चुकी है। अमेरिकी नेशनल ओशिनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक 2050 तक दुनिया की सभी कोरल रीफ्स खत्म हो जाएंगी।

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Two youth tried to save sea eco system


Two youth tried to save sea eco system

Source: bhaskar international story

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