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अमेरिका/30 साल तक जिस पत्थर को अड़ाकर बंद करता था दरवाजा, उसकी कीमत जाकर रह गया दंग



इंटरनेशनल डेस्क, वॉशिंगटन. अमेरिका के मिशिगन में रहने वाला एक व्यक्ति 30 साल तक 10 किलो के एक पत्थर के टुकड़े को अड़ाकर दरवाजा बंद करता रहा। अब पता चला कि यह उल्कापिंड है। इसकी कीमत 1 लाख डॉलर (करीब 74 लाख) आंकी गई है। उसे यह उल्कापिंड उस वक्त उपहार के तौर पर मिला था, जब 1988 में उसने अपनी संपत्ति बेची थी।

1930 के दशक में मिला था उल्कापिंड :उल्कापिंड के पुराने मालिक ने बताया कि 1930 के दशक की एक रात उन्हें यह पत्थर खेत में खुदाई के दौरान मिला। वह गर्म था।नए मालिक ने कहा- मुझे यह पत्थर ठीकठाक आकार का लगा। लिहाजा, मैं इसका इस्तेमाल दरवाजे में अड़ाने के लिए करने लगा। हाल ही विचार आया कि क्यों न इसकी कीमत पता की जाए।

जांच हुई तो उल्कापिंड में निकलीं कीमती धातुएं :पत्थर की असलियत से अनजान व्यक्ति उसे मिशिगन यूनिवर्सिटी ले गया। यहां जियोलॉजी की प्रोफेसर मोनालिसा सर्बेस्कु इसका इसका आकार देखकर चौंक गईं। उन्होंने पत्थर का एक्सरे फ्लोरोसेंस से परीक्षण कराने का फैसला किया।
– जांच में पता चला कि इस पत्थर में 88% लोहा, 12% निकल और कुछ मात्रा में भारी धातुएं इरीडियम, गैलियम और सोना भी है। मोनालिसा ने पत्थर का अंश वॉशिंगटन के स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट भेजा, जहां इसके उल्कापिंड होने की पुष्टि हुई।

जिंदगी में नहीं देखा इतना कीमती पत्थर : प्रोफेसर के मुताबिक- मैंने इतना कीमती पत्थर अपनी जिंदगी में नहीं देखा था। मुझे बस इतना ही लगा कि हमारे सौरमंडल का कोई टुकड़ा टूटकर मेरे हाथ में आ गया। अमूमन उल्कापिंड में 90% से 95% लोहा ही होता है।

एडमोर उल्कापिंड नाम रखा :व्यक्ति ने बताया कि उसने मिशिगन से 48 किमी दूर एडमोर स्थित माउंट प्लीसेंट के पास स्थित अपना खेत एक किसान को बेचा था। किसान ने उन्हें एक पत्थर दिखाते हुए कहा कि यह आसमान से आपके ही खेत में गिरा था। लिहाजा इस पर आपका ही हक है।
– पत्थर को एडमोर उल्कापिंड नाम दिया गया है, क्योंकि यह एडमोर में ही गिरा था। उल्कापिंड का नमूना कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्लेनेटरी-साइंस डिपार्टमेंट भेजा गया है ताकि उसका रासायनिक संघटन जांचा जा सके।

सबसे बड़ा उल्कापिंड 6600 किलो का था :धरती का सबसे बड़ा उल्कापिंड नामीबिया के होबा में मिला था। इसका वजन 6600 किलो था। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह करीब 80 हजार साल पहले धरती से टकराया था। इसका भी ज्यादातर हिस्सा लोहे और निकल का था।मंगल और बृहस्पति के बीच कई क्षुद्रग्रह कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं। इनके टुकड़े को ही उल्का कहा जाता है। कई बार उल्काएं धरती की कक्षा में प्रवेश कर जाती हैं। वायुमंडल के चलते छोटी उल्काएं जलकर खत्म हो जाती हैं, जबकि बड़े उल्कापिंड धरती से टकरा जाते हैं।

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Rock used as doorstop is actually a meteorite

Source: bhaskar international story

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