असिया बीबी मामले पर सरकार और कट्टरपंथियों के बीच हुआ समझौता, प्रदर्शन थमे
लाहौर. पाकिस्तान में ईशनिंदा की आरोपी ईसाई महिला असिया बीबी को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बरी कर दिया था। इस फैसले के विरोध में पिछले चार दिनों से कट्टरपंथी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक के कार्यकर्ता पाकिस्तान में प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि, शनिवार सुबह टीएलपी ने अपना विरोध प्रदर्शन खत्म कर लिया। दरअसल, प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच समझौता हो गया। इसके ठीक बाद टीएलपी ने प्रदर्शनों के लिए माफी मांगी।
सरकार असिया बीबी का नाम एग्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) में रखने के लिए तैयार हो गई है। सरकार का कहना है कि वह जल्द से जल्द असिया का नाम ईसीएल में शामिल कराने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर देगी।
ईसीएल में नाम शामिल हो जानेके बादअसिया पाकिस्तान छोड़कर बाहर नहीं जा सकेंगी। पहले कहा जा रहा था कि पाकिस्तान में खतरा देखते हुए वे देश छोड़ देंगी। कनाडा और स्पेन असिया को शरण देने के लिए भी तैयार थे।
इसके अलावा इमरान सरकार ने कहा है कि वह ईशनिंदा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका की मांगका विरोध भी नहीं करेगी। इसके तहत सरकार ने खुद को ईशनिंदा मामले से पूरी तरह अलग करने का भरोसा दिया।
टीएलपी ने प्रदर्शन खत्म करने के बाद माफी मांगी। पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि अगर किसी को प्रदर्शनों की वजह से परेशानी हुई या किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो वह माफी मांगती है।
इस बीच मोटरवे पुलिस ने शनिवार को कहा कि गाड़ियों की आवाजाही वाले सारे रास्ते और राजमार्ग खोल दिए गए हैं। हालांकि, यात्रियों को हालात के मद्देनजर अनावश्यक यात्रा से बचने की चेतावनी दी है।
दरअसल, असिया को ट्रायल और हाईकोर्ट दोनों में में ईशनिंदा का दोषी करार दिया गया था। असिया पर आरोप था कि उसने पड़ोसियों के सामने इस्लाम की निंदा की। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए असिया बीबी को दोषमुक्त कर दिया। साथी ही उनकी रिहाई के आदेश भी दिए। असिया पिछले आठ सालों से जेल में बंद थीं।
इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने फैसले के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मामले में फैसला सुनाने वाले तीनों जजों की हत्या की बात कही थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री इमरान खान के इस्तीफे की भी मांग की गई थी।
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Source: bhaskar international story