इलेक्ट्रिक कार से 3 साल में की 90 हजार किमी यात्रा, क्राउड फंडिंग से जुटाया पैसा
हॉलैंड. एक इलेक्ट्रिक कार ड्राइवर ने लोगों के सहयोग से तीन सालों में 90 हजार किमी की यात्राएं की। जीरो कार्बन उत्सर्जन का संदेश लिए वीब वेकर मार्च 2016 में घर से बिना पैसों के निकल गए। उन्होंने यात्रा के दौरान कार की रिपेयरिंग में 20 हजार यूरो (करीब 15 लाख 62 हजार रुपए) खर्च किए। दिलचस्प बात यह है कि वेकर ने यह पैसा लोगों की मदद और काम करके कमाया।
वेकर ने अपनी इलेक्ट्रिक कार फॉक्सवैगन (द ब्लू बैंडिट) से नार्वे से ईरान और म्यांमार से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तक की यात्रा की। इस सफर का आखिरी पड़ाव सिडनी था। वेकर ने कहा कि इस दौरान हुए खर्च का आकलन करना मुश्किल है। हालांकि, यात्रा में भोजन और रहने के लिए जगह मुझे मुफ्त में ही मिल गई।
वेकर ने बताया कि यात्रा के दौरान बहुत लोगों ने मेरी मदद की। मैंने मिडिल ईस्ट और भारत के असुरक्षित इलाकों की यात्राएं भी की। हर जगह स्थानीय लोगों ने मानवता का परिचय दिया। वेकर का ‘प्लग मी इन’ प्रोजेक्ट लोगों को मदद के तीन तरीकों की पेशकश करता है। पहला भोजन, दूसरा रहने के लिए जगह और तीसरा उनके वाहन को चार्ज करने की व्यवस्था।
वेकर ने 10 साल पहले एक साहसी बैकपैकर के रूप में इसकी योजना बनाई। उन्होंने बताया, “जब मैंने यात्रा की शुरुआत की तो रूट को लेकर कुछ भी पता नहीं था। कभी नहीं सोचा था कि यह इतना लंबा हो जाएगा। लेकिन, यात्रा के दौरान बहुत लोगों ने मुझे रहने के लिए जगह दी और मदद की। आनंद लेने के लिए जीवन में पहला मौका मिला।”
वेकर ने बताया कि कार का फ्यूज लगभग एक महीना पहले खराब होगया था। ऑस्ट्रेलिया में तापमान 49 डिग्री सेल्सियस से अधिक था। कार में मुझे गंध को हटाने के लिए कॉफी बीन्स रखने पड़े। जहां भी संभव था मैंने ड्राइविंगकी। तीन बार कार को जहाज से भेजा। इतना ही नहीं पैसे जुटाने के लिए कई जॉब भी किए।
वेकर ने कहा कि भारत में कार के पीछे के टायर खराब हो गए। शॉर्ट सर्किट से चार्जर में भी विस्फोट हो गया। इंडोनेशिया में कार में पानी घुस गया, जिसे हॉलैंड के मैकेनिक ही ठीक कर सकते थे। फिर मैंने क्राउड फंडिंग के जरिए पांच हजार यूरो (करीब 4 लाख रुपए)जुटाए। हैरानी यह थी कि मैं इस काम में सफल रहा।
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Source: bhaskar international story