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कश्मीर पर पाक को भारत का जवाब- दुनिया में आतंक का सबसे बड़ा केंद्र झूठी रनिंग कमेंट्री करता है



जेनेवा. पाकिस्तान के विदेश मंत्री के संबोधन के बाद मंगलवार को भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भी यूएनएचआरसी को संबोधित किया।विदेश मंत्रालय की सचिव विजय ठाकुर सिंह ने यूएन में कहा कि एक डेलिगेशन यहां सीधे झूठी बातें कह रहा है। दुनिया जानती है कि यह बातें ऐसे आतंक के केंद्र से आ रही हैं जो लंबे समय से आतंकियों का पनाहगाह रहा है।

यह देश वैकल्पिक डिप्लोमेसी के तौर पर क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म का इस्तेमाल करता रहा है। भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के जिम्मेदार देश के तौर पर भारत मानवाधिकार की सुरक्षा में विश्वास रखता है।भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया और विदेश मंत्रालय में पूर्व सचिव विजय ठाकुर सिंह कर रहे हैं।

हम मानवाधिकार की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं

सिंह ने कहा- हमारी सरकार कश्मीर में आगे बढ़ने वाली नीतियों को लागू कर के सामाजिक, आर्थिक बराबरी और न्याय के लिए सकारात्मक कार्रवाई में जुटी है। हमारे यहां आजाद न्यायालय और आजाद मीडिया मानवाधिकार की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में किए गए कानूनी बदलावों का नतीजा यह है कि अब राज्य में भी हमारे नागरिकों पर प्रगतिशील नीतियां लागू होंगी। इससे लैंगिक भेदभाव खत्म होगा, किशोर अधिकारों की सुरक्षा बढ़ेगी और शिक्षा, सूचना और काम के अधिकार भी लागू होंगे।

यह भारत का आंतरिक मामला: विदेश मंत्रालय

सिंह ने कहा कि यह फैसले हमारी संसद द्वारा लिए गए। जिसकी डिबेट का लाइव प्रसारण हुआ था। यह स्वायत्त फैसले थे, जो कि पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है। कोई भी देश अपने आंतरिक मामलों में किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा, खासकर भारत।

उन्होंने कहा कि कश्मीर में प्रतिबंधों में छूट दी जा रही है। क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म की वजह से कुछ एहतियाती कदम लिए गए। दुनिया और भारत को आतंक की वजह से काफी जूझना पड़ा है। यह समय है जब बुनियादी अधिकारों का हनन करने वाले आतंकी गुटों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। हमें बोलना होगा। चुप्पी से आतंकियों और उनके समर्थकों को बढ़ावा मिलता है।

कुरैशी ने जम्मू-कश्मीर को भारत का राज्य बताया

इससे पहले पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में कश्मीर का मुद्दा उठाया। पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यूएन से जम्मू-कश्मीर में भारत की कार्रवाई कीजांच की मांग की।इसके बाद रिपोर्टर्स से बातचीत के दौरान कुरैशी ने सच्चाई कबूलते हुए जम्मू कश्मीर को भारत का राज्यबताया।

उन्होंने कहा किभारत दुनिया को यह दर्शाने की कोशिश कर रहा है कि कश्मीर में जिंदगी सामान्य स्तर पर लौट आई है। अगर ऐसा है तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया, संस्थान और एनजीओ को भारत अपने राज्य जम्मू-कश्मीरक्यों नहीं जाने देता? उन्हें क्यों नहीं सच्चाई देखने देता। क्योंकि वह झूठ बोल रहा है। एक बार जब कर्फ्यू खत्म होगा तो दुनिया को सच्चाई दिखेगी।

महमूद कुरैशी यूएनएचआरसीमें कश्मीर मुद्दा उठाएंगे

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी यूएनएचआरसी के सत्र में शामिल होने के लिए जेनेवा पहुंचे हैं। कुरैशी ने सोमवार को ट्वीट किया था, ‘‘यूएनएचआरसी के सेशन के दौरान पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर निश्चित रूप से बोलेगा। उच्चायुक्त मिशेल बेस्लेट ने कहा था कि कश्मीर के लोगों से इस मुद्दे पर परामर्श किया जाना चाहिए।’’

कार्यकर्ताओं ने जेनेवा में पाकिस्तान के खिलाफ पोस्टर लगाए

वहीं, जेनेवा में यूएन ऑफिस के बाहर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने वाले पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं। बलूच मानवाधिकार परिषद ने इस मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने के लिए बलूचिस्तान प्रांत में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्याओं, यातनाओं और अपहरण के मुद्दे को उजागर करने वाले पोस्टर लगाए हैं।

नेताओं को हिरासत में लेना गंभीर मुद्दा: बेस्लेट

मिशेल बेस्लेट ने सोमवार को कहा था कि कश्मीर में स्थानीय नागरिकों के लिए इंटरनेट पर रोक लगाना, नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेना गंभीर मुद्दा है। वह भारत सरकार और पाकिस्तान से अनुरोध करती हैं कि वे लोगों के मानवाधिकार का सम्मान करें और इसे सुनिश्चत करें। बेस्लेट ने कहा, ‘‘भारत से कर्फ्यू और बंद में ढील देने और लोगों को मूलभूत सामान उपलब्ध कराने की अपील करती हूं। हिरासत में रखे गए नेताओं के अधिकार भी सुनिश्चित करने चाहिए। कश्मीर में लोगों को अपने भविष्य को लेकर फैसले लेने के अधिकार मिले। मुझे नियंत्रण रेखा के दोनों ओर से मानवाधिकार के उल्लंघन की रिपोर्ट मिलती रही है।”

47 देश मानवाधिकार परिषद के सदस्य

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के 47 देश सदस्य हैं। इसमें भारत, पाकिस्तान के साथ ही चीन भी शामिल हैं। पाकिस्तान के मानवाधिकार हनन के प्रस्ताव को खत्म करने के लिए भारत को अधिकतम देशों के समर्थन की जरूरत होगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया है, तब से पाकिस्तान इस मुद्दे को कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाता रहा है। लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली है।

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Source: bhaskar international story

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