ग्लोबल वॉर्मिंग और समुद्र का तापमान बढ़ने से ग्रेट बैरियर रीफ की हालत बेहद खराब हुई: रिपोर्ट
सिडनी.ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। पर्यावरण में बदलाव, ज्यादा मात्रा में मछली पकड़ने और मिट्टी के कटाव से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई। सरकारी एजेंसी के मुताबिक, रीफ की स्थिति सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। अगर इसे बचाने के पर्याप्त उपाए नहीं किए तो विश्व विरासत खतरे में पड़ सकती है।
ऑस्ट्रेलियाई कानून के तहत ग्रेट बैरियर रीफ मरीन पार्क अथॉरिटी (जीबीआरएमपीए) को रीफ की स्थिति को लेकर हर पांच साल में रिपोर्ट तैयार करनी होती है। 2009 में पहली रिपोर्ट में वैज्ञानिकों नेरीफ की स्थिति अच्छी बताई थी। वहीं, 2014 में दूसरी रिपोर्ट में कहा गया कि रीफ को प्रभावित करने वाले कारकों से लड़ने और उन पर लगाम लगाने की जरूरत है।
ग्रेट बैरियर रीफ दुनिया की सबसे बड़ी मूंगे की चट्टान है। यह करीब 2,300 किमी में फैलीहै। जीबीआरएमपीएने कहा कि क्वींसलैंड में स्थित रीफ की सेहत 2014 के बाद से ही खराब हो रही है।रीफ को 1981 में ‘वैज्ञानिक और आंतरिक महत्व’ के लिए विश्व विरासत का दर्जा दिया गया था। लेकिन हाल के वर्षों में समुद्र के बढ़ते तापमान ने कोरल रीफ को तेजी से नुकसान पहुंचाया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लीचिंग की वजह से 89% तक नए कोरल की संख्या घट गई है। इससे 1,500 किमी का इलाका प्रभावित हुआ है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने पिछले साल रीफ को बचाने के लिए 500 मिलियन डॉलर (3,586 करोड़ रु.) खर्च करने की बात कही थी। समुद्र के पानी के ज्यादा गर्म होने से प्रवाल अपने उत्तकों को त्याग देते हैं,जिससे वह पूरी तरह सफेद हो जातेहैं, इसे ही कोरल ब्लीचिंग कहते हैं।
ऑस्ट्रेलियन मरीन कंजर्वेशन सोसाइटी के रणनीतिनिदेशक इमोजेन जेथोवेन ने कहा कि इसे बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना होगा। साथ ही वैश्विक और स्थानीय स्तर पर असरदार और जोरदार तरीके से काम करने होंगे।
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Source: bhaskar international story