चीन ने थल सेना में 50% सैनिक घटाए, वायुसेना-नौसेना में जुड़ेंगे 20 लाख जवान
बीजिंग. विश्व की सबसे बड़ी सेना वाले चीन ने थलसेना में 50 प्रतिशत तक की कटौती की है। 20 लाख से ज्यादा सैनिक नेवी और एयरफोर्स में बढ़ाए हैं। हॉन्गकॉन्ग कीरिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी सेनाओं को आधुनिक बनाने पर जोर दे रहे हैं। वायुसेना और नौसेना में हथियारों की खरीद और आधुनिकीकरण पर फोकस किया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलए के अधिकारियों को भी 30 प्रतिशत तक कम कर दिया गया।चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सुधार के नाम पर पिछले पांच साल में पीएलए से 3 लाख सैनिकों को कम कर दिया है। इसके बावजूद पीएलए विश्व की सबसे बड़ी आर्मी बनी रही।
चीन की आर्मी में पांच स्वतंत्र शाखाएं हैं। इनमें थलसेना, नेवी, एयरफोर्स, रॉकेट फोर्स, स्ट्रेटेजिक सपोर्ट फोर्स और स्ट्रेटेजिक एंड टेक्टिकल मिसाइल ऑपरेटर शामिल हैं। शी जिनपिंग ने स्ट्रेटेजिक सपोर्ट फोर्स और टेक्टिकल मिसाइल ऑपरेटर का गठन दो साल पहले ही किया है।
चीन ने पिछले पांच सालों में नेवी पर काफी खर्च किया है। नेवी में एक एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल किया गया। दूसरा ट्रायल पर है और तीसरा बन रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन 6 एयरक्राफ्ट कैरियर को और नेवी में शामिल कर सकता है। रॉकेट फोर्स और स्ट्रेटेजिक सपोर्ट फोर्स मिसाइल तैयार करने में जुटे हैं।
शंघाई के सैन्य विश्लेषक नी लेक्सियंग ने कहा कि यह बड़ा बदलाव समय के साथ जरूरी है। नेवी, एयरफोर्स और मिसाइल फोर्स चीन के लिए युद्ध के समय बड़ी ताकत बनकर उभरेंगी। अब जो भी आधुनिक युद्ध होंगे, वे हवा, अंतरिक्ष और साइबर जैसे क्षेत्रों में ही लड़े जाएंगे।
पीएलए की स्थापना 1927 में रेड आर्मी ऑफ चाइना के तौर पर की गई थी। यह आर्मी 1949 के घरेलू युद्ध में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की जीत का जरियाथी। पीएलए के पास 1949 तक कोई नौसेना या वायु सेना नहीं थी।
1966 में रॉकेट फोर्स की स्थापना की गई, जिसे पहले ‘द सेकंड आर्टिलरी कॉर्प्स’ के रूप में जाना जाता था। 2013 में पीएलए के पास कुल 23 लाख सैनिक थे। इनमें नौसेना के पास 2,35,000 और वायु सेना के पास 3,98,000 सैनिक थे।
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Source: bhaskar international story