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ज्यादा ऑक्सीजन के लिए एक हजार पिलर पर बनाए वर्टिकल गार्डन



मैक्सिको सिटी. मैक्सिको को प्रदूषणरहित बनाने की कवायद की जा रही है। इस प्रोजेक्ट का नाम वाया वर्दे रखा गया है, जिसकेतहत फ्लाईओवर्स के पिलर्स पर वर्टिकल गार्डन बनाए गए हैं। इन गार्डनका मकसद है कि आबादी के लिए ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन पैदा की जाए, जिससे शहर की आबोहवा तरोताजा रहे।

इस प्रोजेक्ट का मकसद मैक्सिको सिटी को ग्रे (धूसर) से ग्रीन बनाना है। पिछले कुछ सालों में मैक्सिको सिटी में ट्रैफिक और स्मॉग (धुंध) में इजाफा हुआ है। एनजीओ लीगा पेटोनल के पब्लिक हेल्थ कोऑर्डिनेटर सर्जियो अंद्रादे ओचोआ के मुताबिक, मैक्सिको शहरमें कारों की तादाद बढ़ने से प्रदूषण भी बढ़ गयाहै। हम पेड़ लगाना चाहते हैं, लेकिन सरकार ने कारों के लिहाज से खाली जगह काफी कम छोड़ी।

आर्किटेक्ट ने दिया अनोखाआइडिया

वाया वर्दे प्रोजेक्ट का आइडिया एक आर्किटेक्ट फर्नान्डो ओर्टिज मोनासतेरियो ने दिया।उनकी फर्म वर्दे वर्टिकल ने लोगों का समर्थन हासिलकरने के लिए ऑनलाइन चेंजडॉटऑर्ग पिटिशन भी चलाई। इस पिटिशन में दावा किया गया कि उनके प्लान पर अमल हुआतो मैक्सिको सिटी में कुल आबादी से अतिरिक्त 25 हजार लोगों के लिए ऑक्सीजन पैदा हो सकेगी। वहीं, हर साल 27 हजार टन जहरीली गैसों, 5 हजार किलो धूल से निजात मिलेगी। साथही, धुएं में मिले 10 हजार किलो हेवी मेटल को भी प्रोसेस किया जा सकेगा। मोनासतेरियो के एक एक्टर दोस्त लुई गेरार्डो मेंडेज ने भीइस प्रोजेक्टका प्रचार किया और सरकार का ध्यान केंद्रित करने के लिए 80 हजार लोगों के दस्तखत करा लिए।

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प्राइवेट फंडिंग से जुटाया गया पैसा
प्रोजेक्ट के लिए वर्दे वर्टिकल ने एक सर्वे किया। इसमें टैक्स, लोगों द्वारा दिए गए दान, कॉरपोरेशंस द्वारा की जाने वाली प्राइवेट फंडिंग से प्रोजेक्ट के लिए बजट जुटाने का तरीका पूछा।सबसे ज्यादा वोट (47%) प्राइवेट फंडिंग को मिले। इसके बाद कॉरपोरेशन फंडिंग से आर्किटेक्ट को300 मिलियन पेसो (करीब 114 करोड़ रुपए) मिले। दो साल पहले एक हजार पिलर पर वर्टिकल गार्डन बनाने का काम शुरू कर दिया गया।

आर्किटेक्ट खुश, एनजीओ नाराज
पिलर पर वर्टिकल गार्डन बनाने से आर्किटेक्ट मोनासतेरियो खुश हैं। उनका कहना है कि मैं एक पूंजीवादी पर्यावरणविद हूं। हमने अपने काम को ठीक से अंजाम दिया। वहीं, लीगा पेटोनल एनजीओ ने प्रोजेक्ट को फेल बताया। एनजीओ के जुआन मैनुएल बर्डेजा और सर्जियो अंद्रादे ओचोआ ने कहा कि एयर क्वॉलिटी सुधारना और जलवायु परिवर्तन रोकना दोनों अलग-अलग बातें हैं। प्रोजेक्ट के जरिए सरकार का पाखंड सामने आया है। शहर के अंदर गार्डन बनाने के लिए 3 हजार से ज्यादा पेड़ काट दिए गए।

प्रोजेक्ट के दावे पर विवाद
पेड़ों के जरिए जलवायु परिवर्तन रोकना एक जटिल प्रक्रिया है। पेड़ों से वायु प्रदूषण कम या खत्म करने की प्रक्रिया को फाइटोरेमेडिएशन कहा जाता है। इस प्रोसेस में कार्बन, ऑक्सीजन में बदलता है। पौधों की कुछ प्रजातियों में ये क्वॉलिटीहोती है। लीगा पेटोनल एनजीओ का दावा है किवाया वर्दे प्रोजेक्ट में जिन पौधों का जिक्र किया गया, उनका रखरखाव आसान है। वे जहरीली हवा सोखने में सक्षमनहीं हैं। हालांकि, प्रोजेक्ट से जुड़ेएक अफसर का कहना है कि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन रोकना हमारा मकसद ही नहीं है।

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प्रोजेक्ट के लिए प्राइवेट फंड से करीब 114 करोड़ रुपए जुटाए गए।


पौधों में पानी पहुंचाने की भी व्यवस्था की गई है।

Source: bhaskar international story

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