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पुरुष प्रधान टीम में महिलाएं और युवा टीम में बुजुर्ग खुद को अलग महसूस करते हैं



लंदन. किसी युवा टीम में खुद को अकेला समझने वाले बुजुर्ग और पुरुषों की टीम में महिलाएं अपने साथियों के मुकाबले दोगुनी छुट्टियां लेती हैं। ऐसे में अगर किसी टीम में कोई कर्मचारी ज्यादा छुट्टियां ले रहा है तो बॉस को दल की संरचना पर काम करना चाहिए। यह बात जर्मनी की कोनस्टांज यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में सामने आई है। करीब 800 टीमों के 2711 लोगों के व्यवहार की सात साल तक जांच की गई। इसमें वर्कप्लेस पर कर्मचारियों के स्वभाव का विश्लेषण किया गया।

रिसर्च में सामने आया कि टीम में मौजूद कर्मचारियों की मानसिकता पर लिंग और उम्र जैसे फैक्टर बड़ा असर डालते हैं। किसी टीम में बाकी सदस्यों के मुकाबले लिंग और उम्र के मामले में नया सदस्य जितना अलग होता है, उतना ही उसके साथ भेदभाव की संभावना बढ़ जाती है। यही कुछ मौके आने वाले समय में टीम के प्रति कर्मचारी का नजरिया तय करते हैं।

पहले साल के बाद बढ़ते हैं बहाने

स्टडी के मुताबिक, लिंग और उम्र की वजह से काम में नया सदस्य चाहे कितना भी बेहतर हो, लेकिन वह अपने को बाकियों के मुकाबले हमेशा कमतर ही समझता है। पहले साल के बाद यह सोच बढ़ती है और आगे पुरुष प्रधान टीम में महिलाएं और युवा प्रधान टीम में बुजुर्ग अपने बाकी साथियों के मुकाबलेबहाना बनाकर ज्यादा छुट्टी लेना शुरू कर देते हैं।

टीम में विविधता रखना जरूरी

जहां टीम के कर्मचारी औसत चार छुट्टियां लेते हैं, वहीं खुद को अलग महसूस करने वाले कर्मचारी सालाना करीब आठ छुट्टियां लेते हैं। एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट जरनल में छपे इस पेपर को कंपनी पर पड़ने वाले प्रभाव के लिहाज से बेहद अहम कहा गया है।रिसर्चर फ्लोरियन कुंज और मैक्स रेनवाल्ड के मुताबिक, किसी टीम की ज्यादा सफलता के लिए लीडर्स को विविधता रखनी चाहिए। इससे संरचना सही होती है और टीम में एक दूसरे का समर्थन करने वालों की संख्या बढ़ती है।

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प्रतीकात्मक चित्र।

Source: bhaskar international story

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