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प्रदर्शनकारियों ने संसद में घुसने की कोशिश की, हॉन्गकॉन्ग में प्रत्यर्पण कानून के प्रस्ताव का विरोध किया



सिंगापुर. हॉन्गकॉन्ग में प्रत्यर्पण कानून के प्रस्ताव पर प्रदर्शन का दौर जारी है। सोमवार को चीन को हॉन्गकॉन्ग को सौंपने की 22वीं सालगिरह के मौके पर पर भी इसका असर दिखाई दिया।प्रदर्शनकारियों ने विधायी परिषद में घुसने की कोशिश की। विरोध प्रदर्शन का यह दौर पिछले तीन सप्ताह से जारी है। हॉन्गकॉन्ग के नागरिक प्रत्यर्पण कानून का विरोध इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इसके लागू होने पर आरोपियों को चीन को सौंपा जा सकेगा। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह उनके अधिकारों का हनन है।

  1. प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने मिर्च पाउडर का इस्तेमाल किया। हालांकि अधिकांश प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटे। उन्होंने भी अपने चेहरे को ढंक रखा था। एक प्रदर्शनकारी चेन ने कहा-‘‘पिछले कुछ वर्षों से लोग ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने यह पाया है कि शांतिपूर्ण तरीकों का कोई असर नहीं हो रहा है।’’

  2. इस विवादित प्रत्यर्पण कानून के कारण चीन समर्थित हॉन्गकॉन्ग की नेता कैरी लैम ने कहा-‘‘सरकार को शासन की शैली बदलने की जरूरत है। मेरी सरकार की मंशा अच्छी है। मैं लोगों की इच्छाओं, भावनाओं और राय के साथ निकटता से काम करूंगी।’’

  3. रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन ने 1 जुलाई 1997 को हॉन्गकॉन्ग को चीन को सौंपा था। हालांकि तब यह शर्त रखी गई थी कि चीन हर हाल में इसकी स्वायत्तता बनाए रखेगा।

  4. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा- हॉन्गकॉन्ग को लेकर ब्रिटेन की कोई जिम्मेदारी नहीं है। दरअसल यह बयान ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेरमी हंट की उस टिप्पणी के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन हॉन्गकॉन्ग को सौंपे जाने की शर्तों को लेकर चीन पर दबाव बनाना जारी रखेगा।

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      विरोध प्रदर्शन करने वालों ने मास्क भी लगा रखे थे।

      Source: bhaskar international story

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