‘बच्चों और सशस्त्र संघर्ष’ रिपोर्ट पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, कहा- देश को अलग तरीके से पेश किया गया
संयुक्त राष्ट्र. भारत ने संयुक्त राष्ट्र कीउसरिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रियाव्यक्त की है जिसमें कहा गया था कि भारत में आतंकी संगठन और नक्सली समूह हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के लिए बच्चों की भर्ती कर रहा है। भारत ने कहा कि देश में न तो कोई सशस्त्र संघर्ष हैं और न ही इससे कोई अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा हैं। इस रिपोर्ट में भारत को अलग तरीके पेश किया गया है जो सिर्फ परिस्थितियों का राजनीतिकरण करती हैं।
मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर जारी वार्षिक रिपोर्ट में गुटेरेस ने कहा कि सशस्त्र समूहों और सरकार के बीच विशेषकर जम्मू कश्मीर और नक्सली क्षेत्रों में हिंसक घटनाओं में बच्चे प्रभावित हो रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की पहली सचिव पौलमी त्रिपाठी ने सुरक्षा परिषद में इस रिपोर्ट पर कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में जनादेश का विश्वसनीय, निष्पक्ष और पारदर्शी कार्यान्वयन आवश्यक है।
उन्होंने कहा, “परिषद में स्पष्ट बहुमत के बावजूद, महासचिव के हालिया रिपोर्ट को लेकर दुखी हूं। दरअसल देश में न ही कोई सशस्त्र संघर्ष है और न ही इससे अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को कोई खतरा है।”
त्रिपाठी ने कहा, “इस रिपोर्ट में भारत को अलग तरीके से पेश किया गया है जो एजेंडा का राजनीतिकरण करने का प्रयास कर रही है। वास्तव में यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के वास्तविक खतरों पर से विश्व समुदाय का ध्यान हटाने का प्रयास कर रहा है।”
रिपोर्ट में कहा गया था कि जम्मू कश्मीर में आतंकी बच्चों की भर्ती कर रहा है और उसे इस्तेमाल कर रहा है। इसके अतिरिक्त, कठुआ जिले में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या की घटना का भी जिक्र किया गया। हालांकि गुटेरेस ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर भारत के प्रयासों की प्रशंसा की।
पौलमी ने कहा कि भारत सशस्त्र संघर्षों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर तत्परता से संज्ञान लिया है और भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र के इस प्रयास में एक प्रतिबद्ध भागीदार है।
मानवाधिकार संगठनों और स्वयंसेवी संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र के रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि रिपोर्ट में शामिल अपराधियों के नाम को शामिल करने की प्रक्रिया का राजनीतिकरण किया गया है।
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Source: bhaskar international story