मुस्लिम देशों की संयुक्त राष्ट्र से मांग- 15 मार्च को इस्लामोफोबिया विरोध दिवस घोषित करें
इस्तांबुल. न्यूजीलैंड की दो मस्जिदों में हुई गोलीबारी के बाद मुस्लिम देशों ने शुक्रवार को इस्लाम को लेकर फैलाए जा रहे डर के खिलाफ वास्तविक कदम उठाने की अपील की। ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-आपरेशन (ओआईसी) ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से 15 मार्च को इस्लामोफोबिया दिवस घोषित करने की मांग की है, ताकि लोगों को इस समस्या के प्रति जागरूक किया जा सके।
इस्तांबुल में हुई बैठक के बाद ओआईसी के मंत्रियों ने कहा कि इस्लामोफोबिया (इस्लाम को लेकर डर) की वजह से हो रही हिंसा के खिलाफ वास्तविक, व्यापक और व्यवस्थित उपाय की जरूरत है ताकि इस समस्या से निपटा जा सके।
ओआईसी ने कहा कि मस्जिदों पर हमले और मुस्लिमों की हत्याएं इस्लाम के खिलाफ नफरत के क्रूर और भयावह नतीजे दिखाती हैं। संगठन का कहना है कि मुस्लिम समुदायों, अल्पसंख्यकों या प्रवासियों वाले देशों को ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो इस्लाम को आतंक, उग्रवाद और खतरे से जोड़ते हैं।
तुर्की के राष्ट्रपति रिसेप तैयब एर्दोआन ने बैठक के बाद कहा, ‘‘इंसानियत ने जिस तरह यहूदियों के नरसंहार के बाद यहूदी विरोधी भावना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, ठीक ऐसे ही इस्लाम के खिलाफ पैदा हो रहे डर के खिलाफ भी प्रतिबद्धता से लड़ना चाहिए। अभी हम इस्लामोफोबिया और मुसलमानों के खिलाफ नफरत का सामना कर रहे हैं।’’
न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में 15 मार्च को दो मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान ऑस्ट्रेलियाई मूल के ब्रेन्टन टैरंट ने गोलीबारी कर दी। इसमें महिलाओं और बच्चों सहित 50 लोगों की जान चली गई थी और कई जख्मी हुए थे।
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Source: bhaskar international story