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मोदी सरकार धर्म के नाम पर हिंसा रोकने में नाकाम, 2018 में सालभर अल्पसंख्यकों पर हमले हुए: रिपोर्ट



वॉशिंगटन. अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 2018 के दौरान सालभर अल्पसंख्यकों खासतौर मुस्लिमों पर हिंदू संगठनों की भीड़ ने हमले किए।हिंसा का शिकार हुए ज्यादातर लोग गौवंश की खरीदफरोख्त या बीफ के कारोबार में लगे हुए थे। यह रिपोर्ट शनिवार को सामने आई, इसे इंडिया 2018 इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम रिपोर्ट नाम दिया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार धर्म और गौरक्षाके नाम पर भीड़ के द्वारा हुए हमलों को रोकने में पूरी तरह से नाकाम रही। पिछले साल अल्पसंख्यकों और सरकार की आलोचना करने वाले लोगों पर कई बार हमले हुए। इसके साथ-साथ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी भड़काऊ भाषण दिए थे।

भारत के 24 राज्यों में गौवंश के वध पर रोक लगी- रिपोर्ट

रिपोर्ट में दावा किया गया है किभारत के करीब 24 राज्यों में गौवंश का वध पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। गौवध को लेकर कम से कम 6 महीने, अधिकतम 2 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान कर दिया। इससे मुस्लिम समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर भी विपरीत असर पड़ा।

‘साम्प्रदायिक घटनाएं9% बढ़ीं’

रिपोर्ट में गृह विभाग के हवाले से विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है कि 2015 से 2017 के बीच भारत में साम्प्रदायिक घटनाओं में 9% वृद्धि हुई। 2017 में ऐसी 822 घटनाओं में 111 लोगों की जान गई और 2384 जख्मी हुए। धर्म के नाम पर हत्याओं, हमले, दंगों और भेदभाव से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची।

रिपोर्ट में कठुआ दुष्कर्म मामले का भी जिक्र

रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की मुस्लिम लड़की के साथ अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले का जिक्र भी है। कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराधों में पुलिस और सरकारी कर्मचारी भी शामिल थे। पीड़ित लड़की के साथ बर्बरता के लिए उसे मंदिर में रखा गया था। वारदात का मकसद मुस्लिम समुदाय को इलाके से भगाना था।

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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो।

Source: bhaskar international story

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