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यूएनएचआरसी ने कश्मीर में जारी प्रतिबंध और असम में एनआरसी से उत्पन्न संकट पर चिंता जताई



नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद(यूएनएचआरसी) ने कश्मीर में पिछले छह हफ्ते से जारी प्रतिबंध और असम में एनआरसी से बाहर हुए 19 लाख लोगों पर संकट को लेकर सोमवार को चिंता जताई। परिषद की अध्यक्ष मिशेल बेस्लेट ने कहा, “कश्मीर में स्थानीय नागरिकों के लिए इंटरनेट पर रोक लगाना, नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेना गंभीर मुद्दा है।

मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र में बेस्लेटने कहा, “मैं भारत सरकार और पाकिस्तान से अनुरोध करती हूं कि वे लोगों के मानवाधिकार का सम्मान करें और इसे सुनिश्चत करें। भारत से कर्फ्यू और बंद में ढ़ील देने और लोगों को मूलभूत सामान उपलब्ध कराने की अपील करती हूं। हिरासत में रखे गए नेताओं के अधिकार भी सुनिश्चित करने चाहिए। कश्मीर में लोगों को अपने भविष्य को लेकर फैसले लेने के अधिकार मिले। मुझे नियंत्रण रेखा के दोनों ओर से मानवाधिकार के उल्लंघन की रिपोर्ट मिलती रही है।”

पाक ने कश्मीर मुद्दे को कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया

पिछले महीने, भारत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान इस मुद्दे को कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाता रहा है, लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिलती नजर आ रही है। भारत ने पाकिस्तान से दो टूक शब्दों में कहा था कि यह उसका आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। सरकार के इस फैसले का फ्रांस, रूस, इजरायल आदि देशों ने भी समर्थन किया था।

एनआरसी के बाद लोगों कीसुरक्षा सुनिश्चित हो: यूएनएचआरसी

बेस्लेट ने कहा कि असम में एनआरसी के कारण बाहरी लोगों में अपने भविष्य को लेकर चिंताहै। उन्होंने सरकार से अपील की कि लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान किया जाए, उन्हें हिरासत में न लिया जाए और न उन्हें राज्य से बाहर नकिया जाए। भारत सरकार ने कहा था कि एनआरसी की सारी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरी हुई है जो पारदर्शी, संवैधानिक और कानूनी तौर पर वैध है।

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यूएनएचआरसी की अध्यक्ष मिशेल बेस्लेट।

Source: bhaskar international story

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