समुद्र में प्रदूषण रोकने के लिए मरी हुई मछलियों के बायोगैस से चलेंगे जहाज
ओस्लो. नॉर्वे की एक कंपनी अब अपने शिप को चलाने के लिए मरी हुई मछलियों का इस्तेमाल करेगी। पिछले हफ्ते क्रूज शिपिंग कंपनी हर्टिंग्रुटेन ने ऐलान किया कि वह आने वाले समय में समुद्र को पूरी तरह प्रदूषण से मुक्त करना चाहती है। इसी कोशिश में कंपनी कार्बन उत्सर्जन करने वाले ईंधन का इस्तेमाल बंद कर देगी और शिप चलाने के लिए समुद्र की मरी हुई मछलियों से पैदा होने वाली लिक्विफाइड बायोगैस (एलबीजी) का प्रयोग करेगी।
125 साल पुरानी हर्टिंग्रुटेन के पास 17 जहाजों का बेड़ा है। कंपनी 2021 तक अपने 6 जहाजों को बायोगैस से चलने लायक बनाना चाहती है। हर्टिंग्रुटेन का कहना है कि वह 2019 तक दुनिया का पहला हाइब्रिड क्रूज शिप लॉन्च कर देगी। इस तरह के जहाजों में बैटरी भी लगाई जाएंगी। शिप को दो अलग-अलग तरीकों से स्वच्छ ऊर्जा से चलाया जा सकेगा। कंपनी का कहना है कि यह अपनी तरह का पहला एक्सपेरिमेंट होने वाला है।
कंपनी के सीईओ डेनियल शेलदाम के मुताबिक, मरी हुई मछलियां जहां समुद्री पर्यावरण के लिए परेशानी खड़ी कर सकती हैं, वहीं हमारे लिए यह एक नया संसाधन है। अभी ज्यादातर शिपिंग कंपनियां सस्ते और प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन का सहारा ले रही हैं। लेकिन हमारे जहाज प्राकृतिक तरीकों से चलेंगे। शेलदाम ने कहा कि मछलियों से तैयार होने वाली बायोगैस सबसे स्वच्छ ईंधन होगा। अगर बाकी शिपिंग कंपनियां भी हमारे तरीके को आजमाती हैं तो हमें खुशी होगी।
जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) समुद्री जीवन के लिए बड़ा खतरा हैं। इसके जरिए पानी में सल्फर जैसे प्रदूषक मिल जाते हैं, जो मछलियों के साथ-साथ समुद्र में रहने वाले बाकी जीवों के लिए भी खतरनाक हैं। जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से जलवायु परिवर्तन का बड़ा खतरा पैदा होता है। दूसरी तरफ मरी हुई मछलियों से पैदा होने वाली मिथेन से आसानी से ज्यादा ऊर्जा पैदा की जा सकती है।
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Source: bhaskar international story