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12 साल से ग्रह का नाम नहीं रख पाए वैज्ञानिक, अब कहा- जनता तय करे



वॉशिंगटन.वैज्ञानिक एकग्रह का नाम तय करने का मौका जनता को देना चाहते हैं। इसका कोडनेमओआर10 है। अमूमन खगोलीय पिंड का पता लगानेवालेवैज्ञानिक ही उसका नाम तय करते हैं, लेकिनओआर10 का नाम 12 साल बाद भी तय नहीं हो पाया है।

ओआर10 कोरिसर्चर मेग श्वांब, माइक ब्राउन और डेविड रैबिनोवित्ज की टीम ने 2007 में अंतरिक्ष के एक किनारे पर स्थित कुइपर बेल्ट में ढूंढा था। इस बेल्ट में कई बड़े पदार्थ मौजूद हैं। ओआर10 उस मलबे में सबसे बड़ा ग्रह है जिसे नाम नहीं दिया जा सका।

तीन नामों का विकल्प

इसकी एक वजह यह है कि इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (अंतरराष्ट्रीय खगोल संघ) में नाम मंजूर कराने से पहले कुछ मापदंड पूरे करने जरूरी होते हैं। तीन वैज्ञानिकों के नाम पर ग्रह का नाम रखना संभव भी नहीं था। इसलिए तीनों खोजकर्ताओं ने संभावित नाम- गोंगगोंग, होले और विली नाम तय किए हैं।

10 मई तक वोटिंग का समय

इन तीनों नामों की उत्पत्ति पौराणिक भगवानों के नाम पर आधारित है। रिसर्चर्स चाहते हैं कि अब यह जनता तय करे कि ग्रह का नाम क्या हो। इसके लिए वोटिंग रखी गई है। वोटर्स 10 मई तक वोटिंग कर सकते हैं। जिस नाम को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे उसे ही ग्रह के नाम के लिए आईएयू के सामने प्रस्तावित किया जाएगा।

एक ग्रह का नाम तय करने का सौभाग्य दुनिया में बहुत ही कम लोगों को हासिल हुआ है। आमतौर पर यह मौका उन्हीं लोगों को मिलता है, जो ग्रहों की खोज करते हैं। कई बार तो ग्रहों और खगोलीय घटनाओं को आधिकारिक नाम तक नहीं दिया जाता और सालों तक वह अपने साइंटिफिक नाम से ही जाने जाते हैं। हालांकि, अब

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People can name planet found in 12 years ago in our solar system through voting

Source: bhaskar international story

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