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2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है वैश्विक तापमान, भारत पर भी पड़ेगा असर



इंचियोन. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरगर्वमेंटल पैनल ऑफ क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने सोमवार की अपनी रिपोर्ट जारी की है। इसमें चेतावनी दी गई है कि ग्रीन हाउस गैसों के मौजूदा उत्सर्जन स्तर को देखते हुए 2030 तक दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री तक बढ़ जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप में भी इसके भयानक परिणाम होंगे।

  1. भारतीय उपमहाद्वीप में इसका सबसे ज्यादा असर कोलकाता और कराची पर पड़ने के आसार जताए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर दुनिया का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है तो भारत को 2015 से भी बुरी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। 2015 में गर्म थपेड़ों से भारत में 2500 लोगों की जान चली गई थी।

  2. पर्यावरण पर रिसर्च करने वाली ब्रिटेन कीसंस्था कार्बनब्रीफ की एक दिन पहले ही जारी हुईरिपोर्ट में सामने आया था कि पिछले 150 सालों में दिल्ली का तापमान करीब 1 डिग्री सेल्सियस, मुंबई का 0.7 डिग्री, चेन्नई का 0.6 डिग्री और कोलकाता का 1.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा।

  3. 400 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ समय में धरती की सतह पर तापमान करीब 1 डिग्री तक बढ़ चुका है। इतना तापमान महासागर का स्तर बढ़ाने और खतरनाक तूफान, बाढ़ और सूखा जैसी स्थिति लाने के लिए काफी है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आने वाले समय में धरती का तापमान 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।

  4. आईपीसीसी की सह-अध्यक्षा डेब्रा रॉबर्ट्स के मुताबिक, आने वाले कुछ साल मानव इतिहास के लिए सबसे अहम साबित होने वाले हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से जलवायु में बदलाव के असर समय से पहले दिखाई देने लगे हैं।

  5. रिपोर्ट के सह-लेखक और जलवायु परिवर्तन के जानकार आर्थर वाइन्स ने कहा, “अब इस पर आम सहमति बन चुकी है कि ग्लोबल वॉर्मिंग इंसानों की सेहत पर असर डालती है और इसकी वजह से लाखों लोग जान गंवाते हैं।’’

  6. दिल्ली स्थित एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक अजय माथुर के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ सकता है, क्योंकि देश की 7 हजार किमी से ज्यादा सीमा समुद्र से जुड़ी है। साथ ही हिमालय और मानसूनी बारिश पर भी देश की निर्भरता काफी ज्यादा है। ऐसे में भारत को आने वाली स्थितियों से बचने के लिए तैयारी कर लेनी चाहिए।

  7. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने के लिए 2016 से लेकर 2035 तक करीब 2.4 लाख करोड़ डॉलर्स के निवेश की जरूरत होगी। यह वैश्विक जीडीपी का 2.5 फीसदी है। हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पर्यावरण की कीमत से बहुत कम है।

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      Time Running Out, Warns UN, Predicts 1.5C Global Warming As Early As 2030

      Source: bhaskar international story

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