Uncategorized

28 साल तक जहां कैदियों को यातनाएं दी गईं, 73 करोड़ रुपए की लागत से उसे शानदार घर में बदला



बेरुत. लेबनान की राजधानी की पहाड़ियों पर बने घर को सैनिकों ने 28 साल तक बंदीगृह और टॉर्चर रूम की तरह इस्तेमाल किया। अब इस घर को 10 मिलियन डॉलर (करीब 73 करोड़ रुपए) की लागत से एक शानदार बंगले में तब्दील कर दिया गया है। यह 22 हजार वर्गफीट क्षेत्र में बना हुआ है।

इस घर के मालिक फिलिप जैबरे जेनेवा (स्विट्जरलैंड) में रहते हैं। फिलिप ने घर की मरम्मत इसलिए करवाई क्योंकि उनके दादा ने परिवार के लिए इसे बनवाया था। घर का रेनोवेशन लेबनान के नबील घोलम आर्किटेक्ट्स ने किया है। इसमें सात साल का वक्त लगा। रेनोवेशन के बाद घर को द हाउस विद टू लाइव्ज नाम दिया गया है। बोई द बूलोन गांव में बने इस बंगले के चारों तरफ पाइन का जंगल है।

lebanon

1930 के दशक में बना था घर
जिस घर का रेनोवेशन किया गया है कि वह 1930 के दशक में बना था। इसे नया लुक देने के लिए 120 लोगों ने काम किया। घर में सोलर पैनल भी लगाए गए ताकि सर्दियों में कम ऊर्जा खर्च हो सके। घर के अंदर स्वीमिंग पूल, आर्ट गैलरी, होम थिएटर भी हैं। नबी घोलम का कहना है कि गोलीबारी से घर काफी खराब हो गया था। कई सालों तक आर्मी और आतंकियों के कब्जे में रहा। उन्होंने इसका इस्तेमाल प्रताड़ना देने के लिए किया। घर का अपना एक इतिहास रहा है। यह खराब न हो, इसके लिए हमें काफी मेहनत करनी पड़ी। सीक्रेट सर्विस ने तो घर में बने अभिलेखागार को जला दिया था। आज यह बंगला मौत के बाद मिली जिंदगी की कहानी सुनाता प्रतीत होता है।

lebanon

15 साल लड़ाकों के कब्जे में रहा घर
यह घर 1975 से 1990 तक लेबनान के गृहयुद्ध के दौरान लड़ाकों के कब्जे में रहा। इसके बाद सीरियाई फौज ने इसे अपने कब्जे में ले लिया। 2005 तक इसे जेल और सिक्योरिटी बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा। घर के मालिक फिलिप जैबरे ने बताया कि 1976 में सीरिया फौजों से टक्कर लेने के दौरान उनके भाई की मौत हो गई थी। लोग घर देखने तो आते थे लेकिन इसकी तरफ ध्यान भी नहीं देते थे। सीरियाई आर्मी के जाने के बाद इस घर में कैद रहे लोग अपने परिवार को घुमाने यहां लाते थे। जैबरे के मुताबिक- रेनोवेशन करके मैं लोगों को दिखाना चाहता था कि जिंदगी दोबारा से लौट सकती है।

lebanon

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today


घर के मालिक फिलिप जैबरे जेनेवा में रहते हैं। जैबरे बताते हैं कि उनके दादा ने यह बंगला परिवार के लिए बनवाया था।


यह घर कई सालों तक फौज और आतंकियों के कब्जे में रहा।

Source: bhaskar international story

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *