अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में करीब 10 घंटे तक चर्चा के बाद मोदी ने जवाब दिया
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि दरअसल यह अविश्वास प्रस्ताव उनकी सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है, बल्कि कांग्रेस के अपने साथियों में विश्वास का फ्लोर टेस्ट है. जो कहते हैं कि बहुमत मिला तो मैं पीएम बनूंगा इस सपने पर और भी दल मुहर लगा दें. इसका ट्रायल चल रहा है इस प्रस्ताव के बहाने अपने कुनबे को जमाने की चिंता है.
अपनी स्वार्थ के लिए देश वासियों के आर्शीवाद पर अविश्वास न करे. बिना पुष्ठिकरण के, बिना वोटबैंक की राजनीति किए, सबका साथ सबका विकास मंत्र पर हम काम कर रहे हैं. 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का काम पहले की सरकारें कर सकती थी लेकिन इन सालों में 15 हजार गांव पूर्वी भारत के हैं और उनमें भी 5 हजार गांव पूरी तरह अंधेरे में थे. इन इलाकों में हमारे आदिवासी, गरीब रहते हैं. जंगलों में जिंदगी गुजारने वालों का तबका रहता है लेकिन ये लोग ये काम इसलिए नहीं करते थे क्योंकि यह उनका वोट गणित बिगाड सकता था. इसलिए नॉर्थ ईस्ट को अलग रह दिया गया. हमने इन गांवों में बिजली पहुंचाई, रोड बनवाई, बैंक के दरवाजे खोले. जब उनकी सरकार थी वे भी गरीबों के लिए बैंक के दरवाजे खोल सकते थे. 32 करोड जनधन खाते हमारी सरकार ने खोले हैं और 80 लाख करोड रूपए इनमें जमा है. उज्जवला योजना से साढे चार करोड माताओं को बेहतर जिंदगी मिली है. ये वो लोग थे जो 9 और 12 सिलेंडर की चर्चा में खोए थे, वे जनता को भटका रहे थे. एक रिपोर्ट के अनुसार दो सालों में 5 करोड देशवासी भीषण गरीबी से बाहर आए. 20 करोड गरीबों को एक माह रूपए के प्रीमियम पर बीमा मिला. आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रूपए की मदद भी मिलेगी. इनको इन बातों पर विश्वास नहीं है. हम किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने की दिशा में काम कर रहे हैं. उस पर भी इन्हें विश्वास नहीं है. हम बीज से व्यापार तक सभी व्यवस्थाओं पर सुधार कर रहे हैं. 80 हजार करोड रूपए तक के बरसों से अटकी सिंचाई योजनाओं को पूरा करने का काम चल रहा है.
हमने 15 करोड किसानों को स्वैल हेल्थ कार्ड दिए. हमने यूरिया में नीम कोटिंग की. जिसका लाभ देश के किसानों को हुआ है. अब यूरिया की कमी बंद हुई है लेकिन इन्हें विश्वास नहीं है. पीएम फसल बीमा योजना के माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचाया है. 2016—17 में किसानों ने 13 सौ करोड रूपए प्रीमियम दी जबकि सरकार ने क्लेम के तौर पर 55 करोड रूपए दी. लेकिन इन्हें विश्वास नहीं है. एलईडी बल्व उनके कार्यकाल में 350 रूपए में बिकता था आज वही 40 रूपए में बिक रहा है. 100 करोड एलईडी बल्ब बिक गए हैं. 500 से ज्यादा अर्बन बॉडीज में इस्तेमाल हुए हैं. उनके समय में मोबाइल कंपनियां दो थी आज 120 कंपनियां हैं. लेकिन उनका विश्वास काम नहीं कर रहा है. स्वरोजगार के लिए हमने मुद्रा योजना शुरू की और 13 करोड युवाओं को लोन देने का काम किया है. वक्त बदल चुका है आज 10 हजार से ज्यादा स्टार्टअप चला रहेे हैं. एक समय था जब डिजिटल लेेन देन पर आपत्ति ले रहे थे. वे कह रहे थे कि यह गरीबों का देश है यहां यह नहीं हो सकता. जो लोग देश की जनता की ताकत को कम आंकते थे उन्हें जवाब मिल गया है. भीम एप से एक माह में 51 हजार करोड का लेन देन हुआ है.
मेक इन इंडिया और जीएसटी पर इन्हें भरोसा नहीं है. भारत ने पूरी दुनिया को रूपए के मामले में मजबूत किया है. भारत 6वीं सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था है. इसके लिए गौरव करना सीखना चाहिए. 5 मिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए देश तैयार है. काले धन के खिलाफ हमारी जंग जारी है. इसके कारण कई लोगों को परेशानी हो रही है. उनके घाव अभी भी हरे हैं. हमने तकनीक का उपयोग किया और सरकारी खजाने में 90 हजार करोड रूपए बचाने का काम किया है. ढाई लाख से ज्यादा सेल कंपनियों को ताले लग चुके हैं. दो लाख कंपनियां आज भी नजर में है जिन पर ताला लगने वाला है. इन्हें जो लोग पनपा रहे थे उन्हें देश जानता है. बेनामी संपत्ति का कानून सदन ने पारित किया, 20 साल से नोटिफाइ नहीं किया. क्यों किसे बचाना चाहते थे? हमने इसे लागू करके दिखाया है. देश को विश्वास है, दुनिया को विश्वास है पर इन्हें विश्वास नहीं है. चातक पक्षी के मुहं में बारिश की बूंद सीधे नहीं गिरती अब इसमें बादल का क्या दोष. कांग्रेस को खुद पर अविश्वास है. ये अविश्वास से घिरे हैं. यही उनकी कार्यशैली का हिस्सा है. उन्हें स्वच्छ भारत में विश्वास नहीं, योग दिवस पर नहीं, न्यायधीश पर विश्वास नहीं, रिजर्व बैंक पर विश्वास नहीं, देश के बाहर पासपोर्ट की ताकत पर भी विश्वास नहीं है. चुनाव आयोग, ईवीएम पर विश्वास नहीं. क्योंकि उन्हें अपने पर विश्वास नहीं है. जब कुछ मुठी भर लोग अपना विशेषअधिकार मानकर बैठे थे, जब जनाधिकार में बदलने लगा तो उन्हें बुखार आ गया. उन्हें परेशानी होना स्वभाविक था, जब रिश्वत आनी बंद हो गई तो उनकी बेचैनी बढ गई. जब कोर्ट तक उन्हें जाना पडा तो वे परेशान हो गए. आजकल शिव भक्ति की बातें हो रही हैं मैं भी प्रार्थना करता हूं आपको इतनी शक्ति दे कि 2024 में फिर से अविश्वास प्रस्ताव ले आएं
मेरी आपको शुभकामनाएं हैं. यहां पर डोकलाम की चर्चा हुई है. मैं मानता हूं कि जिस विषय की जानकारी नहीं उस पर बोलना उल्टा पड जाता है. हमें एक घटनाक्रम याद रखना चाहिए जब सारा देश, तंत्र और सरकार एक मत होकर डोकलाम विषय पर प्रगति पर था तब वे चीन के राजनेताओं के साथ बैठे थे. बाद में कभी ना कभी हां कर रहे हैं. जैसे फिल्म चल रही हो. कोई कहता था मिले कि नहीं! कांग्रेस के उपाध्यक्ष चीनी राजदूत को नहीं मिले. कांग्रेस को मानना पडा कि हां मुलाकात तो हुई थी. क्या देश के विषय गंभीर नहीं है? क्या यह बचकाना हरकत जरूरी है? यहां पर राफेल विवाद की बात हुई. मैं कल्पना नहीं कर सकता कि सत्य को इस तरह रौंदा जाता है औश्र बार बार चीख चीख कर देश को गुमराह करने का काम. इस प्रकार का खेल देखकर यह देश कभी माफ नहीं करेगा. इस सदन में लगाए आरोप पर दोनों देशों को बयान जारी करना पडा. कोई जिम्मेदारी है या नहीं? जो लोग इतने साल सत्ता में रहे, वे बिना सबूत चिल्ला रहे है. सत्य का गला घोंटने की कोशिश जनता जानती है. अब सुधरने का मौका तो सुधरो. मैं सदन के माध्यम से देश को विश्वास दिलाता हूं कि यह समझौता दो देशों के बीच हुआ है, कोई व्यापारियों के बीच नहीे सरकार के बीच हुआ है. पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है. नेशनल सिक्योरिटी के मसले पर यह बचकाना बयानों से बचना चाहिए. नामदार के आगे प्रर्थना करता हूं कि, हमने ऐसा देखा है कि देश के सेनाअध्यक्ष के लिए क्या भाषा इस्तेमाल की गई? आज भी भारत के हर सिपाही को गहरी चोट पहुंची होगी. देश के लिए मर मिटने वालों के लिए ऐसी भाषा शर्म की बात है.
आपको गाली देनी है तो मैं तैयार हूं लेकिन देश के जवानों को गाली देना बंद कीजिए. सर्जिकल कार्यवाई को बदनाम करने का काम बंद करें. कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव के अधिकार का र्दुपयोग किया है. बयान दिया गया है कि कौन कहता है कि हमारे पास नम्बर नहीं है? यह अहंकार देखिए.1999 में कहा था कि हमारे पास 272 की संख्या है. अटल जी की सरकार को एक वोट से गिरा दिया लेकिन खुद की सरकार 13 महीनों में गिर गई और चुनाव हुए. आज फिर एक स्थिर जनादेश को अस्थिर करने का खेल हो रहा है. 1979 में किसान नेेता चौधरी चरण सिंह को पहले समर्थन का भ्रम दिया और फिरवापस ले लिया. एक कामगार का अपमान था ये. चंद्रशेखर जी का भी यही अपमान हुआ. पहले सहयोग की रस्सी फेंको और फिर धोखे से वापस ले लो. यही फामूर्ला 1997 में फिर अपनाया गया. पहले देवगौडा जी को अपमानित किया गया और फिर इंन्द्रकुमार गुजराल की बारी आई. क्या देवगौडा, क्या मुलायम सिंह कौन भूल सकता है कि कांग्रेस ने इनके साथ क्या किया है? जननेताओं को दलों को कांग्रेस ने छला है और देश को अस्थिरता में धकेलने का प्रयास किया है. अपनी सरकार बनाने के लिए दो बार सरकार खरीदने का प्रयास किया. वोट के बदले नोट यह कौन नहीं जानता?आज यहां एक बात और कही गई. पूछा गया कि पीएम अपनी आंख में मेरी आंख भी नहीं डाल सकते. सही है भई, हम कौन होते हैं जो आपकी आंख में आंख डाले. कोई गरीब मां का बेटा, पिछडी जाति का आदमी! आप नामदार है मैं कामगार हूं. सुभाष चंद्र, मुरारजी भाई देसाई, जयप्रकाश नारायण इन सबने आंख में आंख डाली थी पर आपने उनके साथ क्या किया? चौधरी चरण सिंह, सरदार पटेल, चंद्रशेखर, प्रणव मुखर्जी सबने कोशिश की आपने क्या किया? हमारे शरद पवार के साथ आपने क्या किया है? मैं सब बता सकता हूं.
ये आंख में आंख डालने की कोशिश करने वालों को कैसे अपमानित किया जाता है यह देख लें. हम क्यों ऐसा करेंगे? आंखों की बात करने वालों की आंखों की हरकतों ने आज टीवी पर पूरा देश देख रहा है. कैसे आंख खुल रही है कैसे बंद हो रही है? यह आंखों का खेल सब देख रहे हैं. लेकिन आंख में आंख डालकर आज सत्य को कुचला गया है. सत्य को रौंदा गया है. यहां कहा कि कांग्रेस थी जीएसटी में पेट?ेाल को क्यों नहीं लाए तो मैं पूछता हूं कि अपने परिवार के अलावा भी कांग्रेस है. यह निर्णय आपकी सरकार ने किया था हमने नहीं. आज कहा कि चौकीदार नहीं भागीदार है, मैं गर्व के साथ कहता हूं कि हम सौदागर या ठेकेदार नहीं है.
मोदी ने हंसते हुए शोर मचा रहे विपक्ष से कहा कि मैं हर किसी का सम्मान करूंगा, चिंता मत करो. आज किसी को अकेला नहीं छोडेंगे, सबका नम्बर आएगा.
हम चौकीदार और भागीदार भी हैं. हमें गर्व है इस बात पर. कांग्रेस का एक ही मंत्र है या तो हम रहेंगे और नहीं हुए तो देश में अस्थिरता रहेगी और अफवाहों का समाराज्य रहेगा. अफवाएं आती है, झूठ बोला जाता है. आज के युग में तो तकनीक का भी सहारा ले रहे हैं. आरक्षण खत्म हो जाएगा, देश की हिंसा की आग में झोंकने की तैयारी है. ये लोग दलित, गरीबों को ब्लैकमेल करके राजनीति करते रहे हैं. उनके दुखों को दूर करने की बजाए शॉर्टकट रास्ता अपना रहे हैं. बाबा साहेब का मजाक उडाने वाले लोग अब उनके गुण गा रहे हैं. जो सीएम पसंद नहीं है उसे हटा दो यह खेल देश की आजादी के बाद ही शुरू हो गया. इसी नीति का परिणाम हम भुगत रहे हैं. देश को समय से पहले चुनाव में जाना पडा. एक परिवार की आंकाक्षाओं के सामने जो आया उसके साथ यही बर्ताव हुआ. लोकतंत्र को दाव पर लगा दिया. जिनके अंदर इतना अहंकार है उन्हें हमारा यहां बैठना कैसे स्वीकार हो सकता है. कांग्रेस पार्टी जमीन से कट चुकी है और वो तो डूबे और उनके साथ वाले भी डूब रहे हैं.
अर्थ और अनर्थ में उलझे हुए व्यक्ति ने कहा था कि जैसे जैसे पावर नीचे की तरफ चलता गया, जैसा की लोकतंत्र में होना चाहिए वैसे अनेक राज्यों में कांग्रेस का प्रभाव खत्म होता गया. यह 11 अप्रैल की बात है जब देवगौडा जी की सरकार के आविश्वास प्रस्ताव के समय चिदंबरम जी का वक्तव्य है. 18 साल पहले अटल सरकार ने 3 राज्यों का गठन किया. उत्तराखंड, छत्तीसगढ, झारखंड. मिलकर बैठकर रास्ते निकाले और तीनों प्रगति कर रहे हैं. लेकिन राजनीतिक लाभ पाने के लिए आंध्र के लोगों को विश्वास में लिए बिना आपने आंध्र और तेलंगाना का विभाजन किया. यह बात सही है कि उस समय मैंने यह कहा था तेलगु हमारी मां है इसे टूटने नहीं देना चाहिए. उन्होंने बच्चे को बचा लिया है और मां को मार दिया है. आज भी मैं मानता हूं लेकिन 2014 में न ये मिला न वो मिला और पीछे ये मुसीबत छोड दी. आपने भारत पाक को बांटा तो आज झेल रहे हैं. आपने इन्हें बांटा तो आज झेल रहे हैं. पहले दोनों सीएम के बीच तनाव रहता था. टीडीपी की ताकत तेलंगाना के खिलाफ खर्च हुई. टीआईएफ ने खुद को विकसित किया. उधर जो हुआ वो सब जानते हैं. संसाधनों का विवाद आज भी चल रहा है. एनडीए की सरकार ने सुनिश्चित किया कि दोनों राज्यों के विकास में कोई कमी नहीं आएगी. हमने जो कदम उठाए वो मीडिया के सामने आए. एक माननीय सदस्य ने बयान दिया था कि स्पेशल स्टेट केटेगरी से ज्यादा स्पेशल पैकेज है
मैंने चंद्रबाबू से कहा था कि आप वायसआर के चक्र में फंस रहे हो. आप वहां की स्पर्धा में, आप किसी हालत में बच नहीं पाओगे. लेकिन झगडा वहां का है और परेशान सदन में है. आंध्रप्रदेश की जनता भी देख रही है. कोई भी विशेष पैकेज देते हैं तो उसका प्रभाव दूसरे क्षेत्रों में भी होता है. इसी सदन में 3 साल पहले विरप्पा मोहली ने कहा था यह समस्या है जो नासूर बन रही है. मैं आंध्र की जनता को विश्वास दिलाता हूं, चाहे शहर हो या गांव एनडीए की सरकार उनके कल्याण के लिए काम करेगी. उनकी हर मदद की जाएगी. आंध्र के भले से देश का भला है. हमारा प्रयास, हमारा तरीका, समस्यों को सुलझाने का है. वन रैंक वन पेंशन कौन थे जो इसे लटकाए थे. जीएसटी का विषय किसने लटकाया था? और आज किसी ने कहा कि गुजरात के सीएम ने रोका था. मैने उस वक्त भारत सरकार को कहा था कि जीएसटी में राज्य के कसंर्ट को एड किए बिना आगे नहीं ले जाया जा सकता है. इनका अहंकार इतना था कि वे राज्यों की एक बात सुनने को तैयार नहीं थे. बीजेपी के सिवाए अन्य दलों के सीएम भी कहते थे कि हम तो बोल नहीं सकते आप बोलो शायद हमारे राज्य का भी भला हो जाए. जब पीएम बना तो सीएम पद का अनुभव काम आया. तब जाकर जीएसटी हुआ है. आपने राज्यों की समस्याओं को समझा होता तो यह 5 साल पहले हो जाता. काले धन पर सुप्रीमकोर्ट आदेश आपने लटकाया था, बेनामी संपत्ति कानून अपने लटकाया था.
8 साल से आपको रिपोर्ट याद नहीं आ रही थी पर हमने किसानों को एमएसपी डेढ गुना करके दिया. कृषि नीति में 50 फीसदी वाली बातें खा गए और जनता को झूठा विश्वास देते रहे. मैं बता दूं कि यह देश के लिए जरूरी है. 2014 में कई लोगों ने कहा था कि इकोनामी पर व्हाइट पेपर लाया जाए. जब हम बैठे और जानकारी जमा की, तो चौंक गए. क्या अर्थव्यवस्था की हालत कर दी थी. मैं आज एनपीए की कहानी सुनाता हूं. यह कहानी 2008 में शुरू होती है2009 में चुनाव था. कांग्रेस को लगा कि एक साल में जितनी बैंक खाली कर सकते हैं करो. एक बार आदत लग गई तो बैंकों की लूट 2014 तक चला. जब तक कांग्रेस सत्ता में थी तब तक यह खेल चलता रहा. एक आंकडा इस सदन को चौंका देगा. आजादी के 60 साल में हमारे देश की बैंकों ने लोन के रूप में 18 लाख करोड रूपए दिए. लेकिन 2008 से 2014 में यह राशि 18 लाख से 52 लाख करोड रूपए हो गई. 6 साल में 52 लाख तक पहुंचाई. जो काम 60 साल में हुआ उसे डबल कर दिया. दुनिया में ई बैंकिंग देर से आई पर कांग्रेस ने अपने लाभ के लिए इसे पहले ही इस्तेमाल कर लिया. फोन बैंकिंग का कमाल था कि 6 साल में 18 लाख से 52 लाख हो गया. खजाना लुटा दिया गया. लोन देने का समय आया तो दूसरी लोन ले जो, जो गया तो गया नया ले लो. इससे एनपीए के चक्कर में देश के बैंक लुट गए. हमने पूरी पादर्शिता के साथ काम किया है.
नए टैक्स के कारण बैंक लोन क्लियर नहीं हुए. एक तरफ हमारी सरकार ने बैंकों को ईमानदारी के साथ काम करने की योजनाएं बनाई. कई बैंकिंग सुधार किए गए हैं. सारे एनपीए अकाउंट की जांच की गई है. बैंकों में मैंनेजमेंट की नई व्यवस्था तैयार हुई है. हमारी सरकार ने इंश्योरेंसी और बैंक जब्ती कोड बनाएं हैं. हमारी सरकार ने अब तक 55 प्रतिशत की रिकवरी कर ली है. 45 प्रशित की रिकवरी अब तक हो चुकी है. बैंक का कर्ज न चुकाने वालों के लिए देश के कानून से बचाना मुश्किल हो गया है. अगर 2014 में सरकार नहीं बनती, जिस तौर तरीके से सरकार चल रही थी तो आज देश संकट में पहुंच जाता. मैं देश को बताना चाहता हूं कि पहले की सरकार स्पेशल फॉरेंन करेंसी के लगभग 32 बिलियन डॉलर का कर्ज छोडकर गई थी. इस कर्ज को भारत सरकार ने आज पूरा कर दिया है. देश में गा्रम स्वराज अभियान को आगे ले जाने के लिए हमने 15 अगस्त तक सभी गांवों में बैंक खाते, गैस कनेक्शन, बिजली, टीका करण, बीमा सुरक्षा और एलईडी बल्व देने का ध्येय रखा है. न्यू इंडिया की व्यवस्थाएं स्मार्ट और सेंसटिव हैं. गर्व के साथ कहता हूं कि पहली बार दो महिला मंत्री लोकसभा और राज्यसभा में बैठ रही हैं. तीन तलाक, बेटी पढाओ बेटी बचाओ पर ध्यान दिया है. अत्याचारियों को फांसी देने का प्रावधान किया है. देश 21वीं सदी के सपनों को पूरा कर रहा है.
पहले की सरकार के मुकाबले हमारी सरकार की गति तेज है. रोड निर्माण, रेलवे विकास, बिजली कनेक्शन, शिक्षण संस्थान, सभी बनकर तैयार हैं. इस देश में रोजगार को लेेकर भ्रम फैलाए जा रहे हैं. सत्य को कुचलने का प्रयास हो रहा है. सरकार हर माह रोजगार के आंकडे दे रही है. 2017 सितंबर से मई तक 45 लाख नए लोग ईपीएफ से जुडे हैं. इनमें से 77 प्रतिशत 28 साल से कम उम्र के हैं. एनपीएफ में नौ माह में 5 लाख 68 हजार से ज्यादा लोग जुडे हैं. इस तरह नौ माह में फॉमर सेक्टर में 50 लाख से ज्यादा लोग रोजगार में जुडे हैं. पूरे वर्ष यह संख्या 70 लाख से ज्यादा होगी. हमारे देश में 80 हजार से ज्यादा डेंटल और आयुर्वेद के डॉक्टर बने हैं. इनमें से यदि सभी खुद प्रैक्टिस करें तो प्रति व्यक्ति 5 लोगों को रोजगार देंगे. वकीलों के जरिए 2 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं.
मेरा आग्रह है कि बिना तथ्य के सत्य को कुचलने का प्रयास न किया जाए. आज देश अहम पडाव पर है. आने वाले 5 वर्ष हिन्दुस्तानियों के लिए खास होंगे. न्यू इंडिया नई आंकाक्षाओं का आकाश बनने वाला है. यहां किसी भी क्षेत्र के प्रति अविश्वास नहीं होगा. इस महत्वपूर्ण समय में हमें साथ मिलकर चलने की आवश्यकता है. जिन लोगों ने चर्चा में भाग लिया मैं उनका आभारी हूं. मैं बता दूं कि आंध्र के लिए एनडीए कोई कमी नहीं रखेगी. हर किसी के लिए जी जान से काम करेंगे. इन सभी महानुभावों को 2024 में अविश्वास प्रस्ताव को लाने का निमंत्रण देता हूं. धन्यवाद.