अमेरिका समेत 15 देशों में विदेशी स्टाफ जरूरत से ज्यादा पढ़ा-लिखा, नौकरी छोड़ने के ज्यादा आसार
लंदन. विकसित देशों में ऐसे कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है जो अपने काम के लिहाज से जरूरत से ज्यादा पढ़े लिखे (ओवर क्वालिफाइड) हैं। इनमें विदेशी कर्मचारियों की संख्या और भी अधिक है। यह जानकारी ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) के सभी 15 सदस्य देशों की स्टडी से सामने आई है।
काम की जरूरत से ज्यादा पढ़े लिखे स्टाफ के फायदे हैं तो इसके कई नुकसान भी हैं। फायदा यह है कि कर्मचारी का बेहतर प्रदर्शन रहता है। लेकिन, ऐसे स्टाफ ज्यादा सैलरी की उम्मीद करते हैं। उनमें काम को लेकर नाखुशी रहती है और कंपनी छोड़ने की संभावना भी ज्यादा होती है।
रिपोर्ट के मुताबिक 15 देशों में ओवरऑल एक तिहाई विदेशी स्टाफ ओवर क्वालिफाइड है। इन देशों में आने वाले विदेशियों ने अपनी योग्यता और क्षमता से कमतर नौकरी पकड़ी है। ओईसीडी देशों में सबसे ज्यादा ओवर क्वालिफाइड स्टाफ दक्षिण कोरिया में हैं। वहां 74.5% विदेशी वर्कफोर्स ओवर क्वालिफाइड है। वहीं, घरेलू स्टाफ में यह आंकड़ा 59.6% है।
दक्षिण यूरोप के देशों में भी जरूरत से ज्यादा पढ़े-लिखा विदेशी स्टाफ ज्यादा है। ग्रीस, स्पेन और इटली इसके मुख्य उदाहरण हैं। ग्रीस में 60.7% विदेशी स्टाफ ओवर क्वालिफाइड है। स्पेन में 53.6 और इटली में 51.7 प्रतिशत स्टाफ ओवर क्वालिफाइड है।
घरेलू और विदेशी ओवर क्वालिफाइड स्टाफ में सबसे कम अंतर अमेरिका में है। वहां 36.6% विदेशी और 35.6% घरेलू स्टाफ ओवर क्वालिफाइड है। यानी अंतर सिर्फ एक प्रतिशत का है।
सबसे ज्यादा ओवर-क्वालिफाइड स्टाफ वाले 5 देश
देश घरेलू विदेशी द. कोरिया 59.6% 74.5% यूनान 32% 60.7% स्पेन 36.9% 53.6% इटली 16.9% 51.7% अमेरिका 35.6% 36.6% अंडर-एंप्लॉयमेंट यानी शिक्षा के हिसाब से काम न मिलना भारत में भी बड़ी समस्या है। खुद नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने पिछले साल यह बात कही थी। उन्होंने कहा था कि यह समस्या बेरोजगारी से भी ज्यादा गंभीर है। आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया भी यह बात कह चुके हैं। आयोग ने 2017-18 से 2019-20 के एक्शन एजेंडा में भी अंडर-एंप्लॉयमेंट का जिक्र किया था।
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Source: bhaskar international story