जिस चैरिटी फर्म के कपड़े सेलिब्रिटी पहनते हैं, उसके कर्मचारियों को मिलते हैं 42 पैसे/घंटे
ढाका. यहां की चैरिटी कंपनी की गर्ल पावर लिखी टी-शर्ट कई विदेशी सेलिब्रिटी पहनती हैं। लेकिन इन टी-शर्ट को बनाने वाले कर्मचारियों की माली हालत बेहद खराब है। उन्हें 42 पैसे प्रति घंटे कि हिसाब से पैसे दिए जाते हैं। कर्मचारियों ने जब ज्यादा तनख्वाह की मांग की तो कंपनी ने 100 से ज्यादा लोगों को बाहर कर दिया।
अंग्रेजी अखबार द गार्जियन के मुताबिक, टी-शर्ट की कीमत 28 पाउंड (करीब 2600 रुपए) है। इसे हॉली विलोबी और एम्मा बंटन जैसे स्टार्स पहनते हैं। कपड़े बनाने वाली कंपनी का नाम डर्ड कॉम्पोसिट टेक्सटाइल है।
टी-शर्ट को एफईक्वल (F=) नाम की कंपनी बेचती है। हर टी-शर्ट की बिक्री पर 10 पाउंड (करीब 900 रुपए) वर्ल्डरीडर नाम की संस्था को जाते हैं जो विकासशील देशों के लोगों को डिजिटल किताबें मुहैया कराती है।
कर्मचारियों को कम पैसे दिए जाने के मुद्दे पर जब एफईक्वल से संपर्क किया गया तो उन्होंने टी-शर्ट की बिक्री रोक ली। एफईक्वल का कहना है कि बिक्री तब तक शुरू नहीं की जाएगी, जब तक कर्मचारियों के पैसे का मुद्दा सुलझ नहीं जाता।
एफईक्वल खुद टी-शर्ट नहीं बनाता, उसने इसके लिए स्टेनली/स्टेला ब्रांड को हायर किया है। यह ब्रांड अपने ज्यादातर उत्पाद बांग्लादेश से बनवाता है। हाल ही में फेयर वीयर फाउंडेशन ने ऑडिट में पाया कि स्टेनली/स्टेला अपने कर्मचारियों को कम पैसे देते हैं। अब एफईक्वल ने कहा है कि वह बेल्जियम की कंपनी से टी-शर्ट बुलाएगा क्योंकि वहां काम की स्थितियां काफी बेहतर हैं।
डर्ड फैक्ट्री के एक कर्मचारी का कहना है कि मैनेजमेंट के आदेश पर उसे काफी पीटा गया। कई अन्य कर्मचारियों ने भी शोषण की शिकायत की है। कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने जनवरी में न्यूनतम तनख्वाह (कम से कम साढ़े 6 हजार रु.) को लेकर इसी साल जनवरी में हड़ताल की थी। यूनियन नेताओं का कहना है कि इसके चलते बीते हफ्तों में 7500 लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
कंपनी का कहना है कि लोगों को नौकरी से निकाला नहीं गया। उन्होंने खुद काम छोड़ा। एफईक्वल की डेनिले न्यूनहैम ने कहा कि अगर यह मामला कम तनख्वाह देने का निकला तो तुरंत दूसरा सप्लायर ढूंढ लेंगे। हम टी-शर्ट को यूके में भी छपवा सकते हैं। हम चिंता इस बात को लेकर होती है कि कहीं कर्मचारियों कम पैसे तो नहीं दिए जा रहे। हमारा पूरा मिशन ही सशक्तिकरण पर निर्भर है।
उधर, डर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर नबीलुद्दौला का कहना है कि लोग इसलिए छोड़कर चले गए क्योंकि वे नई तनख्वाह काम करने के लिए तैयार नहीं थे। नई तनख्वाहों की घोषणा बांग्लादेश सरकार ने ही की थी। हमारे यहां नैतिक मानदंडों का ख्याल रखा जाता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Source: bhaskar international story