दुष्कर्म पीड़िता की मौत इच्छामृत्यु से नहीं हुई: सरकार, दोस्तों ने कहा- उसने खाना छोड़ दिया था
हेग. नीदरलैंड सरकार ने गुरुवार को कहा कि 17 साल की दुष्कर्म पीड़िता नोआ पॉटहोवेन की मौत इच्छामृत्यु से नहीं हुई है। हेग में एंंड ऑफ लाइफ क्लीनिक ने एक बयान में कहा, “नोवा की मौत को लेकर जो रिपोर्टिंग की गई वह गलत है। हम उसके दोस्तों के हवाले से बता रहे हैं कि नोवा ने अन्न और जल त्याग दिया था और यही उसके दुनिया से जाने की असली वजह है।”
मीडिया रिपोर्ट्स में बुधवार को बताया गया कि17 साल की नोआ पॉटहोवेन ने रविवार को इच्छामृत्यु कानून के तहत अपने घर पर सरकारी क्लिनिक की मदद से मौत को गले लगाया था। दरअसल, नोआ का बचपन में कई बार यौन उत्पीड़न हुआ था। पहली बार 11 और फिर 14 साल की उम्र में उनके साथ दुष्कर्म भी हुआ था। इसके चलते वहलंबे समय से गहरे सदमे में थीं। नोआ डिप्रेशन और अनोरेक्सिया (भूख न लगने) की समस्या से भी जूझ रही थीं। नोआ डिप्रेशन और अनोरेक्सिया (भूख न लगने) की समस्या से भी जूझ रही थीं।
मौत के बारे में सोशल मीडिया पर बताया था
पिछले हफ्ते नोआ ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए अपने 10 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स को बताया था किवह10 दिन के अंदर अपने लिए मृत्यु चुन लेगी। नोआ ने पोस्ट में लिखा था, “वहअपनी परेशानियों से सालों से लड़ते-लड़ते थक गई हैऔर अब खाना-पीना भी बंद कर दिया है।”पिछले साल नोवा ने इच्छामृत्यु देने वाले क्लीनिक से संपर्क किया और उनका जवाब आया तब घर वालों को इस बारे में पता चला। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि नोवा की मौत सामान्य रूप से हुई है।
चॉकलेट खाने की इच्छा बाकी रह गई
नोआ ने ‘विनिंग ऑर लर्निंग’ नाम से आत्मकथा भी लिखी थी, जिसके लिए उसे पुरस्कार भी मिला था। इसमें उसने दुष्कर्म के तनाव से खुद के संघर्ष के बारे में लिखा है। इस स्थिति से गुजर रहे अन्य लोगों को मदद मिले, इसी उद्देश्य से किताब लिखी थी। नोवा ने एक विशलिस्ट भी बनाई थी, जिसमें उसने स्कूटर चलाना, शराब और सिगरेेट पीना, टैटू बनवाना, घुड़सवारी करना जैसी इच्छाएं रखी थीं। एक इच्छा और थी जो पूरी नहीं हो पाई। उसे व्हाइट चॉकलेट बार पंसद थी, पर मोटे होने के डर से पिछले कई सालों ने छुआ तक नहीं था।
नीदरलैंड में कानूनी तौर पर मान्य है इच्छामृत्यु
पोस्ट के बाद रविवार को नोआ नेइच्छामृत्यु ले ली। दरअसल, नीदरलैंड में इच्छामृत्यु के ‘टर्मिनेशन ऑफ लाइफ ऑन रिक्वेस्ट एंड असिस्टेड सुसाइड एक्ट ऑफ 2001’ कानून है। इसके तहत डॉक्टर अगर तय कर दें कि मरीज का दर्द उसकी बर्दाश्त से बाहर है तो उसकी इच्छामृत्यु की याचिका को मंजूरी मिल जाती है। नीदरलैंड में 12 साल तक के छोटे बच्चों की इच्छामृत्यु की याचिका भी मंजूर की जा सकती है। 2017 में करीब 6585 लोगों ने नीदरलैंड में इच्छामृत्यु से अपनी जान ली थी।
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Source: bhaskar international story