नशे की लत छुड़ाने के लिए चीन मरीजों के दिमाग पर पेसमेकर का टेस्ट कर रहा
बीजिंग. पेसमेकर का इस्तेमाल डॉक्टर आमतौर पर दिल के मरीजों की धड़कन सामान्य करने के लिए करते हैं। हालांकि, चीन के वैज्ञानिक अब इसका प्रयोग लोगों की नशे की लत को छुड़ाने के लिए करना चाहते हैं। इसके लिए पहली बार चीन में टेस्ट शुरू किए गए हैं। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) तकनीक के जरिए रिसर्चर अब एक स्विच से ही लोगों में नशे की आदत खत्म करना चाहते हैं।
क्या है डीबीएस?
यह पहली बार नहीं है जब पेसमेकर को व्यक्ति के दिल की बजाय कहीं और इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पहले पार्किन्सन जैसी बीमारियों में दिमाग को चलायमान रखने के लिए पेसमेकर का इस्तेमाल किया गया है। इसके तहत मरीज की खोपड़ी में दो छोटे छेद किए जाते हैं और पेसमेकर को दिमाग से जोड़कर बिजली के जरिए उत्तेजना पैदा की जाती है। इसी तकनीक को डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) कहा जाता है। हालांकि, किसी मरीज का नशाछुड़ाने के लिए इस तरह का पहला प्रयोग है।
मरीजों के दिमाग पर रिसर्च का केंद्र बना चीन
नशा छुड़ाने के लिए किसी के दिमाग पर इस तरह की रिसर्च शंघाई के रुइजिन हॉस्पिटल में शुरू की गई। दरअसल, यूरोप और अमेरिका में ऐसे मरीजों का मिलना काफी मुश्किल है जो खुद अपने ऊपर रिसर्च के लिए तैयार हो जाएं। साथ ही इन देशों में पेसमेकर की कीमत भी 70 लाख रुपए तक होती है, जो कि टेस्टिंग के लिहाज से काफी ज्यादा है। इन देशों की बजाय चीन इस मामले में रिसर्च केंद्र के तौर परउभरा है। चीन में नशारोधी कानून के तहत किसी भी पीड़ित को जबर्दस्तीइलाज के लिए रोका जा सकता है। इसके अलावा बड़ी कंपनियां टेस्टिंग के मकसद को पूरा करने के लिए पेसमेकर मुहैया कराने के लिए भी तैयार हैं।
सर्जरी से मरीज का व्यक्तित्व बदल सकता है
इस तरह के प्रयोग से मरीज को ब्रेन हेमरेज, इन्फेक्शन जैसे जानलेवा खतरे हो सकते हैं। साथ ही ऑपरेशन सफल होने पर उनके व्यक्तित्व में भी बदलाव हो सकता है। इसके बावजूद चीन में इस सर्जरी के लिए यान नाम का एक व्यक्ति तैयार हुआ है। यान को 2011 में बेटे के जन्म के बाद मेथ ड्रग्स की लत लग गई थी। इसकी वजह से उन्होंने एक करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम गंवा दी। पत्नी ने भी तलाक दे दिया। इसके बाद ही यान ने रिसर्च में सहयोग के लिए डॉक्टरों द्वारा प्रयोग किए जाने पर सहमति जताई।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Source: bhaskar international story