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वर्क प्लेस पर जेंडर असमानता मामले में नाइकी कोर्ट में लड़ाई हारी



बीवर्टन (यूएस). स्पोर्ट्स अपैरल बनाने वाली अमेरिकी कंपनी नाइकी वर्क प्लेस पर जेंडर इनइक्विलिटी (लैंगिक असमानता) के मामले में घिरती जा रही है। पिछले साल अगस्त में कॉर्पोरेट हेडक्वार्टर में काम करने वाली चार महिलाओं ने कंपनी पर केस कर भेदभाव का आरोप लगाया था।

तब वे महिलाएं नाइकी पर क्लास एक्शन लॉ सूट (सामूहिक मुकदमा) दर्ज करवाना चाह रही थीं। यानी वे कंपनी में काम करने वाली सभी महिलाओं की ओर से नाइकी पर मुकदमा दर्ज करवाना चाहती थीं।

  1. नाइकी उन चार महिलाओं से केस लड़ने के लिए तैयार थी लेकिन वह नहीं चाहती थी कि मामला क्लास एक्शन लॉ सूट बने। ऐसे में लॉ सूट में मुकदमा हारने पर अक्सर कंपनी के खिलाफ काफी कड़ी कार्रवाई की जाती है।

  2. फेडरल जज ने अब इस मामले में जो रुख अपनाया है उससे नाइकी की कोशिशों पर पानी फिर सकता है। जज ने कहा कि कंपनी यह तय नहीं कर सकती है कि मामला क्लास एक्शन लॉ सूट होगा या नहीं।

  3. जज ने कहा कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि इस केस में कितनी महिलाएं कवर होंगी। केस करने वाली महिलाओं का मानना है कि अब उनके साथ इस मुहिम में कंपनी की कम से कम 500 महिलाएं जुड़ेंगी।

  4. महिलाओं ने पिछले साल अगस्त में दायर केस में कहा था कि एक समान काम करने के बावजूद उन्हें पुरुषों की तुलना में काफी कम सैलरी दी जाती है, उनका प्रोमोशन रोका जाता है और वर्क प्लेस में अच्छा सलूक भी नहीं किया जाता है।

  5. महिलाओं का आरोप था कि वर्क प्लेस पर यौन उत्पीड़न के मामले को भी गंभीरता से नहीं लिया जाता है। ऐसी गलती करने वाले पुरुष कर्मचारियों के खिलाफ अक्सर कोई कार्रवाई नहीं होती है। नाइकी ने केस दर्ज होने के बाद कुछ कदम भी उठाए थे। कंपनी ने करीब दर्जनभर एग्जीक्यूटिव को बाहर किया था।

  6. नाइकी वर्क प्लेस पर महिलाओं से भेदभाव के मामले में मुकदमा झेलने वाली पहली बड़ी कंपनी नहीं है। हाल के समय में गूगल और उबर के खिलाफ भी इस तरह के मामले दर्ज कराए गए। 2017 में तीन महिलाओं ने गूगल के खिलाफ केस में कहा था कि कंपनी महिला कर्मचारियों को कम सैलरी देती है। उबर के खिलाफ भी पिछले साल केस दर्ज हुआ था।

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      Nike women clear first hurdle in lawsuit over gender pay gap

      Source: bhaskar international story

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