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48.2 करोड़ किमी दूरी तय कर इनसाइट प्रोब मंगल पर पहुंचा, पहला संदेश भेजा- सौर पैनल को धूप मिल रही है



वॉशिंगटन.अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का इनसाइट लैंडर यान सफलतापूर्वक मंगल की सतह पर उतर गया है। कैलिफोर्निया के पासाडेना में स्थित नासा की जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला के उड़ान नियंत्रकों ने जब प्रोब की सही ढंग से उतरने की घोषणा की तो वहां मौजूद वैज्ञानिक खुशी से उछल पड़े और ताली बजाने लगे। लैंडिंग भारतीय समयानुसार सोमवार- मंगलवार की रात करीब 1:24 बजे हुई।

इस यान ने करीब सात महीने में 48.2 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की। मंगल की कक्षा में प्रवेश करते समय इस यान की रफ्तार 19 हजार 800 किमी थी। लैंडिंग कराने के लिए 14 मिनट और 32 सेकंड में रफ्तार चार चरणों में 8 किमी तक लाई गई। लैंड होने के बाद ही यान ने काम शुरू कर दिया। मंगलवार सुबह सात बजे पहला संकेत आया कि यान के सौर पैनल खुले हैं और उन्हें मंगल ग्रह पर धूप मिल रही है।

धूप मिलने के संकेतों से साफ हो गया कि अंतरिक्ष यान की बैटरी रोजाना रिचार्ज हो सकती है। नासा के लिए यह सफलता इन मायनों में ऐतिहासिक है कि 1976 से वह मंगल मिशन पर काम कर रहा है। तब से वह नौ प्रोब भेज चुका है। 2012 में उसका भेजा आठवां यान क्यूरियोसिटी रोवर ही मंगल पर उतर पाया था। अन्य सात प्रयास विफल रहे थे। इनसाइट नासा का मंगल पर नौवां प्रोजेक्ट है। इसका पूरा नाम इंटीरियर एक्सप्लोरेशन यूजिंग सीस्मिक इन्वेस्टिगेशंस है।

टचडाउन में 14 मिनट लगे

  • रात 1:10 बजे- यान के क्रूज से अलग होने की स्टेज शुरू
  • 1:17 बजे: मंगल की कक्षा में आया। रफ्तार 19 हजार 800 किमी
  • 1:19 बजे- 1500 डिग्री पारा से गुजरा। यान के रेडियो सिग्नल जानेका खतरा था।
  • 1:21 बजे यान का पैराशूट खुलने लगा।फिर यान को गर्मी से बचाने वाली हीट शील्ड हटी।
  • 1:23 बजे लैंडिंग के लिए यानर के लेग खुले। पैराशूट अलग हुआ।1:24 बजे इनसाइट लैंडर ने मंगल को छू लिया।

धरती से मंगल 16 करोड़ किमी दूर, सिग्नल पहुंचने में 8 मिनट लग रहे
धरती से मंगल की दूरी करीब 16 करोड़ किमी है। अंतरिक्षयान के बारे में रेडियो सिग्नल से जानकारी यहां तक आने में 8 मिनट लग रहे हैं। ओडिसी ने कुछ तस्वीरें भी भेजीं जिनमें इनसाइट को सतह पर उतरते देखा जा सकता है। इस अंतरिक्षयान को इसी साल पांच मई को अमेरिका के कैलिफोर्निया से भेजा गया था। इसकी ‘रोबोटिक आर्म’ सतह पर सेस्मोमीटर लगाएगी। दूसरा मुख्य टूल ‘सेल्फ हैमरिंग’ है जो ग्रह की सतह में ऊष्मा के प्रवाह को दर्ज करेगा।
नासा ने इनसाइट को लैंड कराने के लिए इलीशियम प्लैनिशिया नाम की लैंडिंग साइट चुनी। यहां सतह सपाट थी, जिससे सीस्मोमीटर लगाना और सतह को ड्रिल करना आसान हुआ।

40% नमी से हालात बेहद कठिन थे
नासा ने बताया- यान ने मंगल के वातावरण में जब प्रवेश किया तो महज 40% ही नमी थी। ऐसे कठिन हालात में सतह पर लैंड करना बेहद मुश्किल काम था। फिर भी सब ठीक हो गया। छह साल बाद नासा दोबारा मंगल पर पहुंचा।

प्रोब 26 महीने रहेगा, बताएगा – मंगल कैसे बना

  • ब्रीफकेस के आकार वाला यह प्रोब सौर ऊर्जा और बैटरी से चलता है। ये 26 महीने तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • प्रोजेक्ट वैज्ञानिक ब्रूस बैनर्ट ने कहा- ये एक टाइम मशीन है, जो पता करेगी कि 4.5 अरब साल पहले मंगल, धरती, चंद्रमा जैसे पथरीले ग्रह कैसे बने।
  • इनसाइट प्रोब का मुख्य उपकरण सीस्मोमीटर (भूकंपमापी) है पता करेगा कि मंगल धरती से अलग क्यों है। उसका निर्माण कैसे हुआ।

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पहली तस्वीर: इनसाइट प्रोब ने मंगल पर उतरते ही सफल लैंडिंग की ये तस्वीर भेजी।


यान लैंड होते नासा के वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे को बधाई दी। ये उसका नौवां मंगल मिशन है।

Source: bhaskar international story

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