82% लोग बोले- तलाक लेना मुश्किल है, इसे आसान बनाने के लिए सरकार लाएगी विधेयक
डबलिन. आयरलैंड में तलाक लेना बहुत कठिन था। इतना कठिन कि लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए थे। लोगों ने इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सरकार से जनमत संग्रह करवाने की मांग की थी। शुक्रवार को जनमत संग्रह करवाया गया। रविवार को जब इसका फैसला आया तो 82% लोगों ने इसके पक्ष में मतदान कर तलाक कानून को सरल बनाने के लिए सरकार को मजबूर कर दिया। जनमत संग्रह से पहले यहां तलाक लेने के लिए दंपतियों को 4 से 5 साल के लिए अलग रहना जरूरी होता था। लेकिन अब सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह इस अवधि को कम करके सिर्फ दो साल अलग रहने की अनिवार्यता संबंधी नया विधेयक लाएगी।
दरअसल, आयरलैंड एक कैथोलिक देश है। यहां 1995 में तलाक कानून को मात्र 50.3% मतों के साथ मान्यता दी गई थी। यहां की राष्ट्रीय महिला परिषद की निदेशक ओरला ओ’कॉनर ने कहा कि घरेलू शोषण का सामना करने वाली महिलाओं के लिए एक छोटी तलाक की प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।
लंबी प्रक्रिया में काफी दिक्कतें
उन्होंने बताया- जब शादीशुदा जोड़े अलग होते हैं, तो उसके साथ बहुत सारे सवाल जुड़े होते हैं। चल संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा, दाम्पत्य के दौरान हासिल पेंशन अधिकारों और बीमा पॉलिसी का बंटवारा कैसे होगा, बच्चों की देखभाल का अधिकार किसे होगा। और यदि जोड़ा दो अलग-अलग मुल्क का हो, तो दोनों पर अलग अलग कानून लागू होते हैं और इनका फैसला और भी मुश्किल हो जाता है।
अब सरकार ने जो संकेत दिए हैं, उससे एक तरह से लोगों का खर्च और समय दोनों ही बचेगा। इसके पहले 2015 में भी सरकार ने जनमत संग्रह के जरिए समलैंगिकों की शादी को मंजूरी दी थी। 2018 में गर्भपात को भी इसी तरह कानूनी मान्यता दी गई थी।
सबसे ज्यादा तलाक लक्जमबर्ग में, भारत में सबसे कम
दुनिया में सबसे ज्यादा तलाक यूरोपीय देश लक्जमबर्ग में होते हैं जबकि भारत में सबसे कम। यूनिफाइड लॉयर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सिर्फ 1% शादियां टूटती हैं वहीं लक्जमबर्ग में 87%। लक्जमबर्ग भले ही यूरोप के सबसे छोटे देशों में से एक है, लेकिन यहां की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है। इसलिए ‘तलाक के बाद मेरा क्या होगा’ वाली स्थिति का यहां कोई असर नहीं है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Source: bhaskar international story