दुनिया के सबसे लंबे सी-ब्रिज पर लगे हैं एक्स-रे कैमरे, ड्राइवर ने जम्हाई भी ली तो करेगा अलर्ट
बीजिंग. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को झुहाई से दुनिया के सबसे बड़े सी-ब्रिज का उद्घाटन किया। 55 किमी लंबा यह पुल चीन के झुहाई को हॉन्गकॉन्ग और मकाऊ को जोड़ता है। चीनी अधिकारियों ने इसे इन्फ्रास्ट्रक्चर कीनईमिसाल बताया है। हॉन्गकॉन्ग केमीडिया का दावा है कि पुल में मॉनिटरिंग इतनी तेज है कि अगर ड्राइवर 20 सेकंड के अंतराल में तीन बार भी जम्हाई लेता है तो कंट्रोल रूम उसे तुरंत अलर्ट कर देता है।
पुल से कौन सा सामान ले जाया जा रहा है, इसकी जांच के लिए करोड़ों रुपए की लागत से एक्स-रे कैमरेलगाए गए हैं। इससे ली गई हाई-रेजोल्यूशन फोटो कंट्रोल रूम में देखी जा सकेंगी।
पुल को ऐसा डिजाइन किया गया है कि भूकंप और तूफान जैसी स्थिति में भी इसे कोई नुकसान नहीं होगा। इसे बनाने में करीब 40 हजार टन स्टील इस्तेमाल हुआ, जो कि 60 आइफिल टॉवर के बराबर है।
यह पुल 2009 में बनना शुरू हुआ था। इस पुल के जरिए झुहाई से हॉन्गकॉन्ग महज 45 मिनट में पहुंचा जा सकेगा। अभी यहां से हॉन्गकॉन्ग पहुंचने में 4 घंटे लगते हैं।
चीन के परिवहन विभाग ने सीमा पार करने वाली निजी कारों की संख्या निश्चित कर दी है। डिपार्टमेंट के मुताबिक, केवल 5000 कारों को ही परमिट दिया जाएगा। पुल की कार्य-व्यवस्था संभालने के लिए हॉन्गकॉन्ग ने 321 एकड़ में बने एक कृत्रिम द्वीप में कस्टम और आव्रजन के 800 अधिकारियों की नियुक्ति की है।
पुल तीन शहरों को जोड़ता है। माना जा रहा है कि इससे हॉन्गकॉन्ग में आर्थिक विकास और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पुल पर हॉन्गकॉन्ग ने 15.3 बिलियन डॉलर (1.12 लाख करोड़ रुपए) का निवेश किया। पूरा प्रोजेक्ट 20 बिलियन डॉलर (1.46 लाख करोड़ रुपए) का था।
चीन की एक सरकारी संस्था के 2016 में किए आकलन के मुताबिक- इस पुल से रोज 29 हजार से ज्यादा वाहन गुजरेंगे। वहीं हॉन्गकॉन्ग के सांसदों ने कहा है कि पुल से इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी जुड़ेगा, लिहाजा लंताऊ द्वीप पर भीड़भाड़ हो सकती है।
चीन से हॉन्गकॉन्ग के बीच पुल बनाने का विचार 2003 में आया था। यह पुल चीन के किसी बड़े निर्माणकार्य के दमखम को ही नहीं दिखाता, बल्कि इससे देश की भू-राजनीतिक रणनीतियों का पता चलता है।
हॉन्गकॉन्ग और ताइवान के बीच तनाव रहा है। दरअसल चीन दक्षिण चीन सागर के इलाकों पर अपना अधिकार बताता है। पुल को क्षेत्रीय स्तर पर चीन की लीडरशिप की बढ़ती दखलअंदाजी के तौर पर भी देखा जा रहा है।
दक्षिण चीन, हॉन्गकॉन्ग और ताइवान का इलाका आर्थिक रूप से काफी मजबूत है। यह चीन की कुल भूमि के मुकाबले महज 1% है, लेकिन इस क्षेत्र की चीन के कुल घरेलू उत्पाद में 12% की हिस्सेदारी है। लिहाजा चीन यहां ज्यादा विकास करने के बारे में सोच रहा है।
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Source: bhaskar international story