आतंकी संगठन आईएस से बचकर भागी थी यजीदी महिलाएं, खुद को मजूबत बनाने लिए सीख रहीं बॉक्सिंग
बगदाद. पांच साल पहले इराक और सीरिया में आतंकी संगठन आईएस के बढ़ते प्रभाव के बीच वहां रहने वाले यजीदियों को बड़ी संख्या में मारा जा रहा था। इसके साथ ही आतंकी यजीदी महिलाओं को अगवा कर उनके साथ दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। इसी दौरान पूर्वी इराक में रवांगा का एक रिफ्यूजी कैम्प लोगों की आखिरी उम्मीद बन गया था। ब्रिटिश संस्थान की ओर से चलने वाले इस कैंप में अभी भी महिलाओं को बॉक्सिंग सिखा कर मजबूत बनाया जा रहा है।
कैंप में करीब 12 महिलाओं का एक ग्रुप बीते कई महीनों से शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूती हासिल करने के लिए बॉक्सिंग सीख रहा है। अभी इस ग्रुप को एक पुरुष ट्रेनर बॉक्सिंग सिखा रहा है। हालांकि, ट्रेनिंग लेने के बाद महिलाएं खुद ही बॉक्सिंग के दांव-पेंच कैंप की बाकी महिलाओं को सिखाना चाहती हैं। इसके जरिए वे कैंप में रहने वाली छोटी बच्चियों से लेकर औरतों तक को अपनी पहचान और सम्मान के लिए लड़ना सिखाना चाहती हैं।
इसी कैंप में बॉक्सिंग सीखने वाली हुस्ना तब सिर्फ 12 साल की थीं, जब आतंकियों ने उनके गांव- सिंजर पर हमला कर दिया था। आतंकियों के आने की खबर मिलते ही वे और उनका परिवार रात दिन भागते रहे। इसके बाद उन्हें रवांगा का यह कैंप मिला, जहां उस दौरान आतंक से पीड़ित करीब 15 हजार यजीदी शरण के लिए इकट्ठा हुए थे।
कैंप में बॉक्सिंग ट्रेनिंग देने वाले संस्थान ‘लोटस फ्लावर’ के प्रबंधक वियान अहमद के मुताबिक, अभी 12 महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। हालांकि, अगले कोर्स के लिए 40 महिलाओं ने पहले ही अपना नाम दे दिया है। इस कार्यक्रम की लोकप्रियता तेजी से पूरे कैंप में बढ़ रही है।
हुस्ना इस कैंप में बॉक्सिंग सीखने वाली पहली महिला थीं। उनके मुताबिक, बाकी लड़कियों के साथ बॉक्सिंग सीखकर वे यहां परिवार जैसा महसूस करती हैं। इससे उन्हें एकजुटता और ताकत का अहसास भी होता है। हुस्ना कैंप की बाकी महिलाओं को इस ताकत का अहसास कराना चाहती हैं।
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Source: bhaskar international story