मौत को मात देकर हिमालय से निकालते हैं ‘शहद’, सिर्फ दो ही लोग बचे

माउली बताते हैं कि अब उनकी जनजाति में शहद निकालने वाले सिर्फ दो ही लोग बचे हैं। एक वे और दूसरा उनका शिष्य असदन है। असदन 40 साल के हैं। पहले इनकी पूरी जनजाति शहद निकालने का ही काम करती थी, लेकिन कम आय के चलते धीरे-धीरे लोग दूसरे व्यवसाय से जुड़ गए।

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Source: bhaskar international story

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