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जमीन पर रास्ता बनाने में परेशानी हुई तो सरकार ने तैरती सुरंग की योजना बनाई



ओस्लो. स्कैंडेनेवियाई देश नॉर्वे को दुनिया में उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देशों में शुमार किया जाता है। नॉर्वे का समुद्री तट काफी कटा-फटा है। इसे फियोर्ड्स कहा जाता है। पश्चिमी तट पर फियोर्ड्स लाइन ज्यादा हैं। लिहाजा सड़क बनने में दिक्कत हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए अब देश में समुद्र के अंदर फ्लोटिंग टनल बनाने की योजना तैयार हो रही है। इसके तहत सस्पेंशन ब्रिज और पीपे पर टिकने वाले पुल बनाए जाएंगे। इस सुरंग के बनने से क्रिस्टियनसेंड और ट्रॉन्ढीम शहरों के बीच की 1100 किमी की दूरी घटकर काफी कम रह जाएगी। अभी यात्रा में 21 घंटे लगते हैं।

  1. समुद्र के अंदर बनने वाली इस सुरंग पर 40 अरब डॉलर (करीब 2.8 लाख करोड़ रुपए) खर्च होंगे। पिलर बनाने के लिए समुद्र की तलहटी के अंदर 392 मीटर (1286 फीट) गहरी और 27 किमी लंबी खुदाई होगी।

  2. समुद्र तल के 30 मीटर नीचे यह फ्लोटिंग टनल स्थापित की जाएगी। अगर तय सीमा के अंदर नॉर्वे यह सुरंग बनाने में कामयाब होता है तो वह चीन, दक्षिण कोरिया और इटली से आगे निकल जाएगा। इन देशों में अंडरवॉटर टनल बनाने पर विचार चल रहा है।

  3. एनपीआरए की चीफ इंजीनियर एरियाना मिनोरेत्ती ने बताया कि सुरंग को 100 फीट नीचे इसलिए बनाया जाएगा क्योंकि समुद्र की तल की तुलना में गहराई में जलधाराओं और तरंगों की गति धीमी होती है।

    Tunnel

  4. एनपीआरए की प्रोजेक्ट मैनेजर जर्स्टी वॉलहीम के मुताबिक, क्रिस्टियनसेंड और ट्रॉन्ढीम को जोड़ा जाना ई-39 का हिस्सा है। यह नॉर्वे का प्रमुख रूट है। इसमें दक्षिण-पश्चिमी नॉर्वेजियन तट के सभी मोटरवे, रोड और समुद्री रास्ते शामिल हैं।

  5. जर्स्टी ने बताया कि नॉर्वे का 50% निर्यात समुद्र के ही रास्ते होता है। यूरोपीय मानकों के हिसाब से सड़कों का स्तर उतना अच्छा नहीं है। वहीं नौकाओं के जरिए फियोर्ड्स को पार करना काफी समय लेने वाला हो सकता है। मौजूदा वक्त में ट्रांसपोर्टेशन की यही सबसे प्रचलित विधि है।

  6. प्रोजेक्ट मैनेजर वॉलहीम के मुताबिक, सुरंग के लिए तीन सस्पेंशन ब्रिज और पांच तैरने वाले (फ्लोटिंग) पुल बनाए जाएंगे। पूरे स्ट्रक्चर को पोनटून (पीपे का) पुल का सपोर्ट रहेगा।

    Norway

  7. कई बार फियोर्ड लाइन एक किमी लंबी और 5 किमी चौड़ी होती है। इसे इंजीनियरिंग की मदद से काटा नहीं जा सकता। लिहाजा टनल की मजबूती के लिए समुद्र की तलहटी में गहरे तक खुदाई होगी।

  8. तैरती सुरंग का आइडिया नया नहीं है। 1882 में ब्रिटिश नेवी के आर्किटेक्ट एडवर्ड रीड ने इंग्लिश चैनल में ऐसी सुरंग बनाए जाने का विचार पेश किया था। हालांकि, इस पर काम नहीं हो पाया।

  9. एनपीआरए की चीफ इंजीनियर के मुताबिक, टनल के निर्माण को 30 साल में तैयार कर लिया जाएगा। सुरंग अपने आप में आकर्षण का केंद्र होगी। लिहाजा देश का टूरिज्म भी बढ़ेगा।

  10. सुरंग बनाने के लिए एनपीआरए, सेंटर फॉर एडवांस्ड स्ट्रक्चरल एनालिसिस (सीएएसए) के साथ मिलकर काम कर रहा है। सीएएसए के शोधकर्ता मार्टिन क्रिस्टोफर्सन का कहना है कि हम लाइव एक्सप्लोसिव का भी इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि देख सकें कि टनल के अंदर धमाका होने पर कॉन्क्रीट किस तरह का बर्ताव करता है।

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      इस सुरंग पर 40 अरब डॉलर (करीब 2.8 लाख करोड़ रुपए) खर्च होंगे।


      अगर तय सीमा के अंदर नॉर्वे यह सुरंग बनाने में कामयाब होता है तो वह चीन, दक्षिण कोरिया और इटली से आगे निकल जाएगा।

      Source: bhaskar international story

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