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नागरिकों की खुशी के लिए 18 हजार करोड़ रु. का बजट, प्रसन्नता को बनाया जाएगा विकास का आधार



ऑकलैंड. न्यूजीलैंड सरकार ने पहली बार नागरिकों की खुशी पर केंद्रित बजट पेश किया है। इसे वेल-बीईंग बजट नाम दिया गया है। प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने गुरुवार को संसद में बताया कि उनकी सरकार देश की तरक्की को आर्थिक आधार के बजाय खुशी के आधार पर मापने पर जोर देगी। 248 करोड़ डॉलर (करीब 18 हजार करोड़ रुपए) के बजट में 98.9 करोड़ डॉलर (करीब 8.65 हजारकरोड़ रु.) मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए ही तय किए गए हैं।

नए बजट में बाल वर्ग में फैली गरीबी से भी निपटने की बात कही गई है। इसके लिए आर्डर्न ने बजट में 71 करोड़ डॉलर (करीब 5 हजार करोड़ रुपए) का प्रावधान किया है। इसके अलावा खुशियां बढ़ाने के अन्य मानक जैसे- शिक्षा स्तर, हवा की गुणवत्ता सुधारने और लाइफ एक्सपेक्टेंसी (जीवन प्रत्याशा) सुधारने के लिए भी बजट में राशि तय की गई है।

सुस्त आर्थिक विकास और बेरोजगारी का असर कम होगा
बजट पेश करते हुए आर्डर्न ने कहा कि वे चाहती हैं कि सरकार अब अपने फैसले लेने की नीतियों को बदले और बेहतर अर्थव्यवस्था के बजाय लोगों की खुशी को प्राथमिकता दे। बजट में कहा गया है कि इस 2019-20 में देश की आर्थिक विकास दर 2.7% रहेगी, वहीं बेरोजगारी दर 4% के आसपास होगी। हालांकि, लोगों की बेहतरी पर किए गए खर्च की वजह से इन दोनों चीजों का नकारात्मक असर काफी कम किया जा सकेगा।

भूटान में खुशी मापने के लिए विकास को बनाया गया आधार
भूटान दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां विकास मापने के लिए खुशी को आधार बनाया गया है। भूटान में सबसे पहले 1970 में इससे जुड़ा आइडिया पेश किया गया और 2008 में नागरिकों की खुशियां मापने के लिए ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस इंडेक्स लाया गया था। कई और देशों ने भी इसी तरह के प्रयोगों की कोशिश की है, हालांकि, न्यूजीलैंड पहला ऐसा देश है जहां सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा खुशी के लिए खर्च किया जाता है।

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कैबिनेट मंत्रियों के साथ बजट पेश कर निकलतीं न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न।

Source: bhaskar international story

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