नासा के बेहतरीन फोटो: एल्ड्रिन के चंद्रमा पर पदचिह्न, कैप्सूल से धरती देखता एस्ट्रोनॉट
वॉशिंगटन. 20 जुलाई 1969 को चांद पर पहली बार इंसान के कदम पड़े। नासा के अभियान अपोलो-11 से नील आर्मस्ट्रॉन्ग, माइकल कॉलिन्स और एडविन एल्ड्रिन पहली बार चांद पर पहुंचे। नासा ने मानव अभियान की 50वीं सालगिरह पर 400 फोटो जारी किए हैं, जिनमें से कुछ चौंकाने वाले हैं। इन फोटोज को किताब द नासा आर्काइव: 60 इयर्स इन स्पेस में भी शामिल किया गया है। एस्ट्रोनॉट्स ने फोटो खींचने के लिए उच्च क्वालिटी के हेजेलब्लाद कैमरे का इस्तेमाल किया। ये कैमरे स्वीडन में बनाए जाते हैं।
एक फोटो चंद्रमा पर कदम रखने के दौरान एल्ड्रिन का है। यह फोटो आर्मस्ट्रॉन्ग ने खींची थी। चंद्रमा पर ज्यादातर कैमरा आर्मस्ट्रॉन्ग ही हैंडल कर रहे थे, इसलिए एल्ड्रिन की यह तस्वीर आ गई। चांद पर कदम रखने वालों में दूसरे व्यक्ति एल्ड्रिन ही थे। एल्ड्रिन के इस कदम की छाप अमिट रहेगी क्योंकि चांद पर वायुमंडल नहीं है और वहां बारिश भी नहीं होती।
इसी तरह की अन्य तस्वीरों में मार्च 1969 में ली गई अपोलो-9 की तस्वीर है। इसमें अंतरिक्ष यान धरती का चक्कर लगा रहा है और एस्ट्रोनॉट डेव स्कॉट खिड़की से बाहर निकलकर देख रहे हैं।
द नासा आर्काइव: 60 इयर्स इन स्पेस के लेखक और संपादक पियर्स बिजोनी के मुताबिक- शुरुआत में फोटोग्राफी नासा की प्राथमिकताओं में नहीं थी। बाद में एस्ट्रोनॉट्स ने यान में हेजेलब्लाद कैमरा ले जाना शुरू किया। नासा ने फोटो के लिए कभी भी योजना तैयार नहीं की, लेकिन जब बेहतरीन फोटो आईं तो सोचा कि इनका भी बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक फोटो जैमिनी-4 स्पेसक्रॉफ्ट का है। यह अंतरिक्ष में भेजा गया पहला स्पेसवॉक मिशन था। इसमें एस्ट्रोनॉट्स एड व्हाइट की मिशन कमांडर जिम मैकडिविट ने फोटो खींची। इस फोटो में व्हाइट के आधे चेहरे पर रोशनी और आधे चेहरे पर परछाईं है।
एक अन्य बेहतरीन फोटो ह्यूस्टन के मैन्ड स्पेसक्राफ्ट सेंटर की है। इसमें अपोलो-11 के मॉड्यूल कमांडर माइकल कॉलिंस नासा की लूनर रिसीविंग लेबोरेटरी की निरीक्षण कर रहे हैं।
अपोलो-17 के क्रू ने अंतरिक्ष की यात्रा के दौरान धरती की फोटो ली। इस फोटो को ब्लू मार्बल कहा जाता है। 1972 में अपोलो-17 चंद्रमा पर गया था। 1997 में शनि पर भेजे गए कैसिनी यान ने बृहस्पति के चंद्रमा आयो की तस्वीर ली।
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Source: bhaskar international story