नासा ने बनाया पानी के अंदर चलने वाला ड्रोन, समुद्र की गहराई में रहस्यों की खोज करेगा
वॉशिंगटन. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और वुड्स होल ओशिनोग्राफिक इंस्टीट्यूशन पानी में अंदर खोज करने वाला ड्रोन बनाया है। इसका पहला टेस्ट कामयाब रहा है।समुद्र की गहराई में छिपे रहस्यों पर से पर्दा उठाने में इसका इस्तेमाल किया जाएगा। बताया जा रहा है कि ड्रोन जिस गहराई तक जाएगा, वहां तक अभी कोई नहीं पहुंचा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, ड्रोन समंदर के अंदर 6 से 11 हजार मीटर की गहराई तक जाएगा। इसे हेडल जोन कहा जाता है। महासागरों का 45% हिस्सा इसी जोन में आता है। इस हिस्से में रहने वाली कई चीजें अभी रहस्य ही हैं।
नासा और ओशिनोग्राफिक इंस्टीट्यूशन ने इस रिसर्च, ड्रोन के डिजाइन पर 12 लाख डॉलर (करीब साढ़े 8 करोड़ रुपए) खर्च कर दिए हैं। ग्रीक देवता ओरफस पर ड्रोन का नाम रखा गया है। नाम रखने की भी एक कहानी है। ओरफस नर्क के समुद्र से अंडरवर्ल्ड के राजा हेडास को निकालकर लाया था। माना जा रहा है ओरफस समुद्र की तलहटी से ऐसी फोटो लेकर आएगा जो अब तक नहीं देखी गईं।
ओरफस को बनाने वाले नासा के रोबोट इंजीनियर जॉन लीश्टी कहते हैं कि हम अभी भी काफी अस्पष्ट हैं क्योंकि जहां ड्रोन को भेजा जाना है, वह काफी दुर्गम जगह है। हालांकि वहां ऐसे जीव या वनस्पति होगी, जिन्हें दुनिया नहीं जानती।
गहरे समुद्र में खोज के लिए किसी रोबोटिक चीज को भेजना आसान नहीं होगा। 2014 में वुड्स होल ओशिनोग्राफिक इंस्टीट्यूशन ने रिमोट से चलने वाली एक मशीन समुद्र के अंदर भेजी थी जो 10 किमी अंदर जाकर 6 हफ्ते में ही खराब हो गई।
ओरफस का पहला टेस्ट हो चुका है। अभी यह समुद्र के अंदर महज 176 मीटर गया था। साफ है कि यह अभी हेडल जोन में जाने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है। लीश्टी कहते हैं कि एक जटिल मिशन पर जाने के लिए ड्रोन में अभी काफी काम होना है। ओरफस में जिस तरह के कैमरे लगाए गए हैं, उससे नेविगेशन और तस्वीरें खींचने दोनों में मदद मिलेगी।
ड्रोन इंजीनियर लीश्टी के मुताबिक- धरती समुद्र की गहराई का शोध करने के अलावा बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा के समुद्र में ड्रोन भेजने की योजना है। हमारी कोशिश यह देखने की है अंतरिक्ष के उस दबाव में किस तरह का जीवन है और हम उसे किस तरह देख सकते हैं।
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Source: bhaskar international story