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ब्रेग्जिट: ब्रिटिश सांसदों ने तीसरी बार प्रधानमंत्री थेरेसा मे के मसौदे को नामंजूर किया



लंदन. ब्रिटिश सांसदों ने प्रधानमंत्री थेरेसा मे की ब्रेग्जिट डील को तीसरी बार नामंजूर कर दिया। इसके पक्ष में 286 और विरोध में 344 वोट पड़े। अंतर 58 वोटों का रहा, जो पहले हुई दो वोटिंग से कम है। इससे पहले थेरेसा मे इसी साल 15 जनवरी और 12 मार्च को भी ब्रेग्जिट का मसौदा संसद में पेश कर चुकी हैं। लेकिन, इसे भी सांसदों ने नकार दिया था।

तीसरा ब्रेग्जिट प्लान फेल होने के बाद संभव है कि 12 अप्रैल को ब्रिटेन बिना किसी डील के ईयू से अलग हो जाए। ब्रिटिश संसद में प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने यह संकेत दिए हैं। ईयू के ताजा स्टेटमेंट में भी ‘नो डील ब्रेग्जिट’ की आशंका जताई गई है।

  1. रिपोर्ट्स के मुताबिक,अब सोमवार को एक बार फिर सांसद ब्रेग्जिट के विकल्पोें को लेकर वोट कर सकते हैं। हालांकि, ब्रेग्जिट को लेकर दोबारा जनमत संग्रह कराए जाने को लेकर ज्यादातर लोग समर्थन दे रहे हैं। माना जा रहा है कि इस पर दोबारा जनमत संग्रह कराए जाने के लिए कोशिशें हो सकती हैं। वहीं, थेरेसा मे सरकार के मंत्रियों ने चेतावनी दी है कि अगर ब्रिटेन को सॉफ्ट ब्रेग्जिट डील की तरफ धकेला गया तो हम देश में मध्यावधि चुनाव करा सकते हैं।

  2. 15 जनवरी को थेरेसा मे ने ब्रेग्जिट का मसौदा संसद में पेश किया था, जिसे 230 वोटों से नकार दिया गया। इसके पक्ष में महज 202 वोट गिरे, जबकि विरोध में 432 वोट पड़े।

  3. 12 मार्च को थेरेसा मे ने कुछ बदलाव के साथ दूसरा मसौदा संसद में पेश किया, लेकिन इसे भी 242 के मुकाबले 391 वोटों से खारिज कर दिया गया।

  4. ब्रिटिश संसद में थेरेसा मे के ब्रेग्जिट डील का विरोध लगातार कम हो रहा है। पहली डील के मुकाबले 172 सांसदों का विरोध कम हुआ है। पहली डील को संसद में जहां 230 वोटों से नकारा गया था, वहीं दूसरी डील को 149 वोटों से नामंजूर कर दिया गया। तीसरी डील महज 58 वोटों से गिर गई।

  5. ब्रेग्जिट पर जनमत संग्रह के बाद हुई बैठकों में ब्रिटेन के अलग होने के तरीकों पर बात हुई।जैसे- ईयू से पार्टनरशिप खत्म करने पर ब्रिटेन को कितना रुपया चुकाना होगा?

  6. बैठकों में चर्चा की गई कि ईयू में रहने वाले यूके के नागरिकों का क्या होगा? इसमें नॉर्दन आयरलैंड और आयरलैंड की बीच सीमा के मुद्दे भी उठे थे।

  7. ब्रेग्जिट की सबसे बड़ी समस्या बैकस्टॉप है। यह नॉर्दन आयरलैंड (यूके का हिस्सा) और रिपब्लिक ऑफ आयरलैंड के बीच बॉर्डर की वापसी से जुड़ा मुद्दा है।

  8. थेरेसा के प्लान में आयरिश बॉर्डर को खुला रखा गया है, यानी कोई चेक पॉइंट नहीं, कोई कैमरा नहीं। यह नॉर्दन आयरलैंड में व्यापार और लोगों की आवाजाही आसान बनाए रखने के लिए किया गया है।

  9. यूके और ईयू दोनों ही इस बात पर सहमत हैं, लेकिन कई ब्रिटिश सांसद इसके विरोध में हैं। इनका कहना है कि इससे यूके का नॉर्दन आयरलैंड पर अपना अधिकार कम होगा और वहां ईयू के नियम भी लागू रहेंगे।

  10. यूके ने जून 2016 में यूरोपियन यूनियन (EU) से अलग होने का फैसला किया था। ऐतिहासिक रेफरेंडम में बुजुर्गों की एकतरफा वोटिंग के चलते ब्रिटेन को 28 देशों के यूरोपियन यूनियन से अलग होना पड़ा था। कुल आबादी में बुजुर्ग 18% यानी 1.12 करोड़ हैं। वे यूके की यंग जनरेशन पर भारी पड़े। रेफरेंडम में हिस्सा लेने वाले ब्रिटेन के 18 से 29 साल के लोग EU के साथ रहना चाहते थे।

  11. यूके को ही ग्रेट ब्रिटेन या ब्रिटेन कहा जाता है। इसमें इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड और नॉर्दर्न आयरलैंड शामिल हैं। यूके में लंबे समय से कहा जा रहा था कि यूरोपियन यूनियन अपने सिद्धांतों से भटक गया है। दलीलें दी जा रही थीं कि यूनियन में शामिल होने की वजह से यूके अपनी इकोनॉमी या फॉरेन पॉलिसी को लेकर आजादी से फैसले नहीं कर पा रहा है। उसकी डेमोक्रेसी पर असर पड़ रहा है। इसके बाद इस मसले पर जनमत संग्रह कराया गया।

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      ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे।

      Source: bhaskar international story

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