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सिंगापुर की यूएन में अर्जी- हमारा स्ट्रीट फूड कल्चर विरासत में शामिल करें, मलेशिया को ऐतराज



सिंगापुर. मलेशिया और सिंगापुर अपने-अपने स्ट्रीट फूड को सर्वश्रेष्ठ बताने में जुटे हैं।सिंगापुर अपने स्ट्रीट फूड कल्चर को दुनियाभर में पहचान दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र पहुंचा है। हालांकि, मलेशिया ने इस पर आपत्ति जताई है। उसका कहना है कि मलेशियाई स्ट्रीट फूड सिंगापुर के खाने से काफी बेहतर है।

सिंगापुर चाहता है कि उसकी हॉकर संस्कृति यूनेस्को की विरासत सूची का हिस्सा बने। इसेनामित करने का ऐलान अधिकारियों ने पिछले ही साल कर दिया था। अगर यूनेस्को की तरफ से इसे विश्व विरासत घोषित कर दिया गया तो फूड एंड बेवरेज (खाने-पीने) की श्रेणी में जापानी कुजीन (खाने) और बेल्जियन बीयर के बाद यह तीसरी एंट्री होगी।

मलेशिया और सिंगापुर के बीच क्यों हैं तकरार?
दरअसल, सिंगापुर 1963 से 1965 के बीच मलेशिया का हिस्सा था। लेकिन दो साल बाद 1965 में ही सिंगापुर एक आजाद देश बन गया था। इसके बाद से ही दोनों के बीच संस्कृति और विरासत को लेकर टकराव है। दोनों देश एक-दूसरे पर अपने तौर-तरीके अपनाने का दावा करते हैं। मलेशिया का कहना है कि सिंगापुर ने स्ट्रीट फूड कल्चर कॉपी किया है। इसके बावजूद उसका खाना सिंगापुर से बेहतर है।

लोकप्रिय संस्कृति बचाने की कोशिश
सिंगापुर के नेशनल हेरिटेज बोर्ड के अधिकारी यियो कर्क सियांग के मुताबिक-हम यह नहीं कहते कि हमारा खाना किसी और देश से अच्छा है या खराब और न ही हम किसी और चीज की तुलना चाहते हैं। सियांग का कहना है कि हम बस देश में लोकप्रिय कार्योंको सुरक्षित करना और उसका सम्मान बढ़ाना चाहते हैं। कई लोग यह भी मानते हैं कि इस तरह अपनी विरासत का प्रचार करने से वह कई युवाओं को स्ट्रीट फूड बिजनेस का महत्व समझा सकेंगे।

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प्रतीकात्मक फोटो।

Source: bhaskar international story

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