सौ साल में किसी ने पार नहीं किया अंटार्कटिका, अब दो युवक इसे फतह करने निकले
पुंटा अरेनास (चिली). पिछले 100 साल के इतिहास में अंटार्कटिका को कोई भी पार नहीं कर पाया। करीब दो साल पहले एक व्यक्ति ने इस दुर्गम रास्ते को अकेले पार करने की कोशिश की, लेकिन उसकी मौत हो गई थी। अंटार्कटिका पार करने की जिद लेकर दो युवक अब इस मिशन पर निकले हैं।
दोनों युवक3 नवंबर को अंटार्कटिका में लैंड हुए थे और 65 दिन में अपना मिशन पूरा करने का टारगेट तय किया है। अंटार्कटिका को पार करने के लिए वे 921 मील (1482 किमी) की दूरी तय करेंगे। इस मिशन को पूरा करने के लिए दोनों ने स्पॉन्सर और डोनर्स के माध्यम से 2 लाख डॉलर (1.43 लाख करोड़ रुपए) जुटाए हैं।
अंटार्कटिका फतह करने गए दोनों युवकों में एक अमेरिकन एडवेंचर एथलीट कोलिन ओ’ब्रैडी (33) और दूसरे ब्रिटिश आर्मी के कैप्टन लुइस रूड (49) हैं। दोनों बताते हैं कि इस मिशन पर आने से पहले वे एक-दूसरे को जानते नहीं थे।
रूड के मुताबिक, उन्होंने अप्रैल 2018 में घोषणा की थी कि मैं अकेले ही अंटार्कटिका मिशन पर जाऊंगा। इसके लिए मैंने तैयारी शुरू कर दी है। वहीं, अक्टूबर मध्य में ओ’ब्रैडी ने इंस्टाग्राम पर अपने अंटार्कटिका मिशन की बात शेयर की।
रूड एडवेंचर करने के शौकीन हैं। हालांकि, वे 16 साल की उम्र में ही ब्रिटेन की शाही नौसेना में शामिल हो गए थे। इसके बाद वे ब्रिटेन की थल सेना में भी रहे। इस दौरान ब्रिटेन के लिए उन्होंने तीन साल तक इराक और चार साल अफगानिस्तान में जंग भी लड़ी। रूड कहते हैं, ‘‘यकीनन, अंटार्कटिका पार करने का यह मिशन काफी खतरनाक है, लेकिन मैं अपनी सफलता के प्रति काफी आशान्वित हूं।’’
ओ’ब्रैडी पोर्टलैंड और येल आदि जगहों पर पले-बढ़े। एडवेंचर उन्हें काफी पसंद है। 2008 में वे थाईलैंड गए थे। वहां एक भयानक एक्सिडेंट ने उनका जीवन बदल दिया। उस हादसे में ओ’ब्रैडी के दोनों पैर बुरी तरह जल गए। डॉक्टरों का कहना था कि वे कभी सामान्य लोगों की तरह नहीं चल पाएंगे।
18 महीने बाद ओ’ब्रैडी शिकागो की एक कंपनी में नौकरी कर रहे थे। उस दौरान उन्होंने कुछ कर दिखाने की ठानी और ओलम्पिक डिस्टेंस ट्राइथलॉन में हिस्सा ले लिया।साथ ही, एमैच्योर डिविजन में जीत भी दर्ज की। इसके बाद ओ’ब्रैडी ने नौकरी छोड़ दी और छह साल तक ट्राइथलॉन रेस का अभ्यास करते रहे। वे ओलम्पिक ट्रायल के ट्रैक तक भी पहुंचे।
2014 में उन्होंने स्पोर्ट्स को अलविदा कह दिया और पर्वतारोही बन गए। उन्होंने सात पहाड़ों की चोटियां फतह कीं। उन्होंने 2016 में महज 139 दिन में दोनों पोल्स के आखिरी पॉइंट तक पहुंचकर विश्व रिकॉर्ड बनाया, जो आज भी कायम है। वहीं, 2018 की गर्मियों में उन्होंने 50 राज्यों के सबसे ऊंचे पॉइंट्स को महज 21 दिन में छुआ। यह उनका दूसरा रिकॉर्ड है।
अंटार्कटिका के दुर्गम मिशन के लिए रूड ने खुद तैयारी की। इसके लिए वे रोजाना कई घंटे तक पावरलिफ्टिंग करते थे। ब्रिटिश आर्मी बेस में पूरे दिन काम करने के बाद वे रात में कई घंटे तक ट्रक के भारी टायर को रेत में खींचते थे।
ओ’ब्रैडी ने प्रोफेशनल ट्रेनर माइक मैककैसल के नेतृत्व में इसी तरह की प्रैक्टिस पोर्टलैंड के जिम में की। इसके अलावा दोनों ने मिशन के लिए खींचने वाली नॉर्डिक स्लाइड्स, खाना, कुकिंग ऑयल और कैंपिंग गियर भी जुटाए। मिशन पर जाते वक्त इस सामान का कुल वजन 375 पाउंड था।
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Source: bhaskar international story