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होटल में बर्तन धोने वाली को रविवार को भी काम पर बुलाया, 150 करोड़ रु. का मुआवजा देना होगा



वॉशिंगटन. यहां एक होटल में बर्तन धोने का काम करने वाली एक महिला को 21 मिलियन डॉलर (150 करोड़ रुपए) का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। होटल ने महिला को रविवार को चर्च जाने के बजाय काम पर बुलाया था। लिहाजा महिला ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था।

  1. मैरी ज्यां पियरे ने कोनराड मियामी होटल में करीब 6 साल काम किया। 2015 में उसके किचन मैनेजर ने मैरी को रविवार को बुलाए जाने की मांग रखी, जिसे होटल प्रबंधन ने स्वीकार कर लिया। कोनराड होटल, हिल्टन ग्रुप का ही हिस्सा है।

  2. मैरी एक कैथोलिक मिशनरी ग्रुप सोल्जर्स ऑफ क्राइस्ट चर्च की सदस्य हैं। यह ग्रुप गरीबों की मदद करता है। मैरी ने दायर केस में दावा किया कि अपनी धार्मिक मान्यताओं के चलते वह रविवार को होटल में काम करने में असमर्थ थीं।

  3. पार्क होटेल्स एंड रिजॉर्ट्स (हिल्टन वर्ल्डवाइड के नाम से मशहूर) ने मियामी कोर्ट को बताया कि उन्हें ऐसी किसी बात की जानकारी नहीं है। प्रबंधन की तरफ से कहा गया कि आखिर मैरी को रविवार को छुट्टी क्यों चाहिए थी?

  4. शुरुआत में मैरी ने रविवार को छुट्टी लेने के एवज में अपने सहकर्मियों के साथ शिफ्ट बदलने की इजाजत दी गई। होटल प्रबंधन ने मैरी के पादरी का लिखा लेटर मांगा जिसमें स्थिति का जानकारी देने को कहा गया। हालांकि 2016 में मैरी को खराब काम करने का हवाला देकर नौकरी से निकाल दिया गया।

  5. 2017 में मैरी ने सिविल राइट्स एक्ट 1964 के उल्लंघन का हवाला देते हुए केस दायर कर दिया। नियम के तहत, नौकरी में जाति, धर्म, रंग, लिंग और राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित किया गया है।

  6. कोर्ट ने मैरी के दावे को सही पाया और उन्हें 21 मिलियन डॉलर का मुआवजा देने का आदेश दिया। होटल प्रबंधन को मैरी को बकाया 35 हजार डॉलर और मानसिक पीड़ा झेलने के लिए 5 लाख डॉलर अतिरिक्त भी देने होंगे।

  7. फैसले पर हिल्टन के प्रवक्ता ने कहा- ज्यूरी के फैसले से मैं खुश नहीं हूं। मैरी की नौकरी के दौरान उन्हें कई तरह की सुविधाएं दी गई थीं, उनकी धार्मिक प्रतिबद्धताओं का भी ध्यान रखा गया था। समझ नहीं आता कि फैसला पेश किए गए तथ्यों के आधार पर हुआ या कानून के मुताबिक।

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      सिम्बॉलिक।

      Source: bhaskar international story

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