30 साल में मूंगे की चट्टानें घटकर आधी हुईं, पहली बार धरती पर उगाकर समुद्र में स्थापित किए जा रहे
वॉशिंगटन. समुद्रों के तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है।साथ ही ज्यादा मछलियां निकाली जा रही हैं और प्रदूषण बढ़ रहाहै। इसका असर मूंगे की चट्टानों पर पड़ रहा है। अब कैरिबियनसागर में मूंगे की चट्टानों को स्थापित करने के लिए नए तरह सेप्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए अमेरिका के दो शोधकर्ताजमीन पर मूंगा उगाकर उन्हें समुद्र में स्थापित कर रहे हैं। इसतरह का यह दुनिया का पहला प्रयास है।
मूंगे की चट्टानों के खत्म होने को कोरल ब्लीचिंग कहा जाता है।ऑस्ट्रेलिया की मशहूर ग्रेट बैरियर रीफ करीब-करीब आधी खत्महो चुकी है। अमेरिकी नेशनल ओशिनिक एंड एटमॉस्फेरिकएडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक- 2050 तक दुनिया की सभी कोरलरीफ्स खतरे में आ जाएंगी।
समुद्र किनारे ही उगा रहे मूंगे
येल स्कूल ऑफ फॉरेस्ट्री एंड एन्वायरमेंटल स्टडीज के सैम टीचरऔर गैटर हैल्पर्न मूंगे की चट्टानों को बचाने के लिए जुटे हैं। ये दोनों मूंगे को जमीन पर (टबों में) उगाकर समुद्र में स्थापित कर रहे हैं। मॉरीशस में काम करते वक्त दोनों को समुद्रों में खत्म होते मूंगे के बारे में पता लगा। दोनों ने मिलकर कोरल वीटा स्टार्टअप भी बनाया। इसका मकसद दुनियाभर में समुद्र के अंदर मूंगे की चट्टान स्थापित करना और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को समझाना है।
टीचर के मुताबिक- समुद्रों से मूंगे का खत्म होना पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक त्रासदी है। एक तिहाई समुद्री जीवन कोरल रीफ्स पर निर्भर रहता है। अरबों लोगों का घर इन्हीं मूंगे की चट्टानों से चलता है।
बहामास में बनाया पहला फार्म
टीचर और हैल्पर्न ने 2 मिलियन डॉलर (करीब 14 करोड़ रुपए) की लागत से पिछले महीने बहामास के अंतिम द्वीप ग्रेंड बहामा में पहला मूंगा फार्म खोला था। मूंगा बनाने के लिए माइक्रोफ्रेगमेंटेशन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें समुद्र से ही मूंगे लेकर उनके कई हिस्से किए जाते हैं। इन्हें बड़े-बड़े टबों में उगाया जाता है। कॉलोनी में विकसित होने पर मूंगों को समुद्र में स्थापित कर दिया जाता है। हालांकि वे ये भी कहते हैं कि इस तरह से समुद्र में स्थापित की गए मूंगों को तूफान, दुर्घटना यहां तक कि ज्यादा तापमान से भी बचाना पड़ता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Source: bhaskar international story