57 साल बाद कतर ओपेक से बाहर होगा, भारत पर इसका असर नहीं पड़ेगा
दोहा. कतर एक जनवरी 2019 से तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक से बाहर हो जाएगा। वहां के ऊर्जा मंत्री साद अल-काबी ने सोमवार को इसका ऐलान किया। काबी ने कहा कि यह राजनीतिक नहीं बल्कि तकनीकी और रणनीतिक फैसला है। उन्होंने बताया कि कतर प्राकृतिक गैस उत्पादन सालाना 77 मिलियन टन से बढ़ाकर 110 मिलियन टन करना चाहता है। इस योजना पर फोकस करने के लिए ओपेके से बाहर होने का फैसला लिया गया है।
कतर के फैसले से होने वाले 4 संभावित असर
- विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह का कहना है कि ‘यूरोपीय देशों ने कतर में सबसे ज्यादा निवेश किया है। उनका उद्देश्य था कि कतर के जरिए ओपेक में अपना विस्तार करें। ऐसे में कतर के ओपेक से बाहर होने से उन देशों को कुछ आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसा होता है तो पूरी दुनिया की इकोनॉमी को भी थोड़ा बहुत झटका लगेगा।
- ‘अभी तक कतर के तेल उत्पादन को ओपेक कंट्रोल कर रहा था। लेकिन, उससे अलग होने के बाद कतर प्रोडक्शन बढ़ाकर भारत समेत दूसरे देशों में निर्यात बढ़ाता है तो उसके ऑयल बॉन्ड अंतरराष्ट्रीय बाजार में उछल सकते हैं। ऐसी स्थिति में कतर के निवेशकों को फायदा होगा।’
- ‘कतर मिडिल ईस्ट में एक बड़ी इकोनॉमी वाला देश है। इसके बाहर होने से तेल कीमतों को लेकर ओपेक का एकाधिकार खत्म हो सकता है। क्योंकि, ओपेक के सदस्य देश मिलकर उत्पादन बढ़ाने या घटाने का फैसला करते हैं।
- ‘कतर के फैसले का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि, भारत के प्रमुख तेल निर्यातक देश ईराक, सऊदी अरब और ईरान हैं। यूएई का चौथा नंबर है। तेल के अलावा भारत के कतर के साथ ज्यादा व्यापारिक रिश्ते भी नहीं हैं। हालांकि, अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह के भारत को भविष्य में ईरान से आयात घटाना पड़ा तो वह कतर से इंपोर्ट बढ़ाने का विकल्प चुन सकता है।’
नेचुरल गैस पर क्यों है कतर का फोकस ?
कतर लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) का दुनिया में सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। दुनिया भर के नेचुरल गैस प्रोडक्शन में इसकी 30% हिस्सेदारी है।वह चाहता है कि नेचुरल गैस में दुनियाभर में उसका वर्चस्व बढ़ता रहे।
ओपेक का 11वां बड़ा तेल उत्पादक देश है कतर
यह कयास लगाए जा रहे हैं कि ओपेक से बाहर होने के बाद कतर कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा सकता है। वह ओपेक का 11वां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। कतर ने अक्टूबर के महीने में रोजाना 6.10 लाख बैरल तेल का प्रोडक्शन किया। कतर पिछले 57 साल यानि 1961 से ओपेक का सदस्य था।
ओपेक के 15 सदस्य देश
- अल्जीरिया
- अंगोला
- कॉन्गो
- इक्वाडोर
- इक्वाटोरियल गिनी
- गैबॉन
- ईरान
- इराक
- कुवैत
- लीबिया
- नाईजीरिया
- कतर
- सऊदी अरब
- यूएई
- वेनेजुएला
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Source: bhaskar international story