जैविक खेती कब तथा कैसे करे एव लाभ
जैविक खेती कब तथा कैसे करे एव प्रबंधन |
राकेश चौधरी
भारत एक घनी आबादी वाला देश है | जहाँ की लगभग 70 % जनसंख्या खेती पर आधारित है |आर्गेनिक फार्मिंग को एक बड़े पैमाने तक फैलाने के लिए, सरकार द्वारा समय – समय पर जैविक खेती करने वाले किसानो को परसिक्षण देकर, उनकी रूचि बढ़ने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है |
खेती एक प्रकार का मानसिक जुवा मन जाता है |
वर्षा के समय में बार- बार अंतराल आने के कारण परिस्तितिया खेती के अनुकूल न होने के कारण ,रासायनिक उर्वरको का ज्यादा प्रयोग होने लगा है |
इसका मनुस्य के शरीर पर गलत प्रभाव पड़ता है तथा वातावरण भी प्रदुसित हो जाता है |
लेकिन किसानो में इसके प्रति जागरूकता बढ़ रही
जैविक खेती किसे कहते है |
आर्गेनिक फार्मिंग का तात्पर्य ,खेत में काम में लिए जाने वाले रासायनिक उर्वरको के जगह पर गोबर की खाद ,वर्मीकम्पोस्ट ,फसल अवशेस ,जीवांश पदार्थ तथा सूक्षम जीवो आदि का प्रयोग करके खेत में लाब्दायक पोषक तत्वो को बढ़ाया जाता है |
जिससेआर्गेनिक फार्मिंग आसानी से की जा सकती है |
कार्बनिक खेती में रासायनिक उर्वरको का प्रयोग नही किया जाता है |
जैविक खेती के लाभ |
– आर्गेनिक फार्मिंग करने से मिटी के भौतिक , रासायनिक गुणों में सुधार हो जाते है |
जिससे मिटी की उत्पादन समता बढ़ जाती है |
– इस प्रकार की खेती करने से पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है |
तथा वातावरण संतुलित बना रहता है |
और पानी की आवशयकता कम होती है यह खेती कम पानी में भी की जा सकती है|
– इस खेती में रासायनिक खेती की बजाए किसान की लागत कम हो जाती है जिससे किसान की आमदनी को बढ़ावा मिलता है |
और बाजार में मांग अधिक होने से आमदनी अधिक होती है |