रिजर्वायर पर बना दुनिया का दूसरा सबसे लंबा लकड़ी का ब्रिज, थाई और म्यांमार के समुदायों को जोड़ता है
बैंकॉक.थाईलैंड के संखालबुरी में बांध के रिजर्वायर पर बना 850 मीटर लंबा पुल दुनिया में लकड़ी (बांस) का दूसरा सबसे लंबा ब्रिज है। खास बात यह कि पुल जिस इलाके में बना है, वहां साल में 300 दिन बारिश होती है। यह पुल दो समुदायों थाई और म्यांमार से आए मोन प्रजाति के लोगों को जोड़ता है।
थाईलैंड का पहला हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम 1982 में बना था। कंचनाबुरी प्रांत में बिजली और सिंचाई के लिए यह जरूरी था। बांध के चलते 1 लाख 20 हजार वर्गकिमी का इलाका रिजर्वायर क्षेत्र में आने के चलते डूब गया। इसमें वांग का गांव भी शामिल था। यहां लोगों को अपना कारोबार समेटकर दूर जाना पड़ा। वांग का को म्यांमार की मोन जनजाति ने बसाया था।
गांव के डूब क्षेत्र में आने के बाद दूसरी जगह गए लोगों ने अपने नए गांव का नाम संखलाबुरी रखा। पुल संकालिया नदी पर बना है। इसके एक तरफ मोन, करेन और बर्मी भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। यहां आपको छोटी सड़कें, पारंपरिक बांस और लकड़ी के घर नजर आएंगे। दूसरी तरफ थाई समुदाय के लोग रहते हैं। यहां पर आप महंगे स्टोर और एयर कंडीशंड रेस्त्रां देख सकते हैं।
दोनों क्षेत्रों में लोगों ने तैरते घर बना रखे हैं। इनका जीवन मछलीपालन और पानी पर खेती (एक्वाकल्चर) पर निर्भर है। नदी में पानी का स्तर बढ़ने पर ये लोग घर समेत दूसरी जगह चले जाते हैं।
मोन ब्रिज 1986 में बनाया गया था। पुल को बनाने में बांस के अलावा किसी अन्य चीज की मदद नहीं ली गई। यह लकड़ी का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पुल (850 मीटर) है। पुल को इलाके की लाइफलाइन कहा जाता है। व्यापारी, पर्यटक और स्कूल जाने वाले बच्चे इसी का इस्तेमाल करते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा लकड़ी का पुल म्यांमार में यू बीन है, यह 1.2 किमी लंबा है।
1990 के दशक में थाई सरकार ने मोन लोगों को यहां से जाने के लिए कहा था लेकिन बाद में संखलाबुरी समेत देश अन्य इलाकों रहने की अनुमति दे दी। हालांकि उन्हें अब भी देश का नागरिक नहीं माना जाता।
मोन प्रजाति से ताल्लुक रखने वाली लुक वाह कहती हैं- मैं मोन भी हूं और थाई भी। लुक की मां गांव के डूब क्षेत्र में आने के बाद यहां आ गई थीं। लुक थाई नागरिकता हासिल करने में कामयाब रही। उनके पति तोंग बैंकॉक से यहां आकर बस गए।
2013 में ब्रिज बह गया था। इसे बनाने के लिए देशभर में मुहिम चलाई गई। दूरदराज स्थित इन इलाकों में लोग प्रकृति की सुंदरता देखने के लिए आते हैं। यहां के प्रमुख स्थानों में वाट साम प्रसोब मंदिर है जो 40 साल पहले डूब क्षेत्र में आ गया था। नवंबर से फरवरी के दौरान रिजर्वायर में पानी कम होने पर यह दिखाई देता है।
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Source: bhaskar international story