अमेरिकी कंपनियां चीन से कारोबार समेटें, दूसरे देशों में जाएं; रात 12 बजे: अमेरिकी बाजार 3% तक गिरा
अमेरिका और चीन का व्यापार युद्ध और भड़क गया है। चीन ने शुक्रवार को अमेरिका के 75 बिलियन डॉलर (5.4 लाख करोड़ रु.) के उत्पाद पर आयात शुल्क लगाने की घोषणा की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फौरन पलटवार किया। उन्होंने अमेरिकी कंपनियों को चीन से अपना कारोबार समेटने का आदेश दे दिया।
ताबड़तोड़ चार ट्वीट करते हुए ट्रम्प ने कहा- ‘हमारे देश ने बेवकूफी में चीन से कारोबार के दौरान अरबों डॉलर गंवा दिए। चीन हमारी बौद्धिक संपदा चुराकर हर साल अरबों डॉलर कमा रहा है और वह ऐसा करते रहना चाहता है। लेकिन, अब हम ऐसा नहीं होने देंगे। हमें अब चीन की जरूरत नहीं है। सच तो यह है कि उनके बिना हम ज्यादा बेहतर हालत में होंगे।’ ट्रम्प के इस ऐलान के बाद अमेरिकी बाजार चार घंटे में 3% तक गिर चुके थे।
ट्रम्प ने कहा- ‘मैं महान अमेरिकी कंपनियों को आदेश देता हूं कि वे अपना कारोबार घर वापस ले आएं। वे तत्काल प्रभाव से दूसरे देशों में जाकर चीन का विकल्प ढूंढे। यह अमेरिका के लिए बड़ा अवसर है।’ ट्रम्प ने इसके साथ ही फेडएक्स, अमेजन, यूपीएस से कहा कि वे चीन से आने वाली फेंटानिल दवा की सभी डिलीवरी बंद कर दें। इस दवा से हर साल एक लाख अमेरिकियों कीमौत हो रही है।
(द न्यूयॉर्क टाइम्स सेदैनिक भास्कर से विशेष अनुबंध के तहत)
भास्कर एक्सपर्ट:अमेरिकी कंपनियां चीन से हटती हैं तो यकीनन भारत को फायदा होगा
“ट्रम्प के कहने पर अगर वाकई अमेरिकन कंपनियां चीन से अपना कारोबार समेटेंगी तो यकीनन भारत को इसका बड़ा फायदा होगा। लेकिन, यह कहना गलत होगा कि चीन से निकलकर सारी अमेरिकी कंपनियां भारत का ही रुख करेंगी। टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के लिए बांग्लादेश, वियतनाम और भारत विकल्प हो सकते हैं। नेचुरल रिसोर्स वाली कंपनियां भी भारत को वरीयता दे सकती हैं। जिस सेक्टर की कंपनियों के लिए जो देश अनुकूल होगा, वे कंपनियां वहां जा सकती हैं। ज्यादातर अमेरिकी कंपनियां भारत आ सकती हैं।’ – असीम चावला,इंडो-अमेरिकन चेंबर ऑफ कॉमर्स के रीजनल प्रेसिडेंट
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Source: bhaskar international story