आपातकाल पर 16 राज्यों ने ट्रम्प प्रशासन पर केस किया, संविधान के उल्लंघन का आरोप
वॉशिंगटन. अमेरिका के 16 राज्यों ने राष्ट्रपति ने डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन पर केस दायर किया है। इन राज्यों का कहना है कि मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने को फंड जुटाने के लिए ट्रम्प का इमरजेंसी लगाने का फैसला संविधान का उल्लंघन है। ट्रम्प ने 15 फरवरी को अमेरिका में इमरजेंसी लगाने का ऐलान किया था।
मामले पर कैलिफोर्निया के फेडरल कोर्ट में केस दायर किया गया है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति का आपातकाल लगाने का आदेश प्रेजेंटमेंट क्लॉज और एप्रोप्रिएशंस क्लॉज का विरोध करता है। प्रेजेंटमेंट क्लॉज में विधायी प्रक्रिया की बात कही गई है जबकि एप्रोप्रिएशंस क्लॉज में सार्वजनिक फंड पर मुहर लगाने के लिए कांग्रेस (अमेरिकी संसद) को अंतिम संस्था बताया गया है।
कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल जेवियर बेसेरा ने कहा था कि उनका और दूसरे राज्य ट्रम्प के आदेश पर इस पर कानूनी कार्यवाही इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें मिलिट्री परियोजनाओं, आपदा निधि और अन्य जरूरी कामों के लिए रखे गए पैसे के खर्च होने का खतरा है।
जिन राज्यों ने ट्रम्प के खिलाफ केस दायर किया है, उनमें कैलिफोर्निया, कोलोराडो, कनेक्टीकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनॉय, मेन, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवादा, न्यूजर्सी, न्यू मैक्सिको, न्यूयॉर्क, ओरेगन और वर्जीनिया शामिल हैं।
राज्यों ने अपनी शिकायत में कहा है कि सीमा पर दीवार बनाने के लिए अतिरिक्त फंड की जरूरत अमेरिकी संविधान का उल्लंघन है। यह भी कहा कि ट्रम्प का आपातकाल लगाने का आदेश देश को एक संवैधानिक संकट की ओर ले जाएगा।
कई रिपब्लिकन सीनेटरों ने भी आपातकाल की घोषणा की आलोचना की है। इसे खतरनाक मिसाल बताते हुए कार्यकारी शक्तियों का उल्लंघन भी करार दिया गया है।
ट्रम्प प्रशासन की शिकायत के मुताबिक- कांग्रेस लगातार ट्रम्प को ज्यादा रकम देने की मांग ठुकरा रही है। कुछ समय पहले ही सरकार ने ऐतिहासिक 35 दिन के शटडाउन के बाद काम शुरू किया है। डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने नेशनल एन्वायरमेंटल पॉलिसी एक्ट का उल्लंघन किया क्योंकि वह कैलिफोर्निया और न्यू मैक्सिको में बनने वाली दीवार का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने में नाकाम रहा।
14 फरवरी को कांग्रेस सीमा पर 88 किमी की फेंसिंग के लिए 1.375 बिलियन डॉलर (करीब 9 हजार करोड़ रुपए) की रकम पास कर दी थी। लेकिन ट्रम्प 5.7 बिलियन डॉलर (करीब 40 हजार करोड़ रुपए) की मांग कर रहे हैं। ऐसा न किए जाने पर ट्रम्प ने दोबारा से शटडाउन की धमकी भी दी थी।
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Source: bhaskar international story