बांध के रास्ते में आ रही थी एक मस्जिद, 4600 टन वजन होने के बावजूद दूसरी जगह पर किया शिफ्ट, 300 पहिए के रोबोट ट्रांसपोर्टर की ली मदद
इंस्ताबुल. तुर्की में 600 साल पुरानी मस्जिद बांध के रास्ते में आ रही थी। मस्जिद को बाकायदा तीन भागों में बांटा गया और रोबोट ट्रांसपोर्टर्स के जरिए दो किमी दूर एक दूसरी जगह पर स्थापित कर दी गई। श्रमिकों को सैकड़ों सालों से सुरक्षित रखी गई दीवारों को तोड़ना पड़ा ताकि वे परिवहन के लिए प्लेटफार्म पर मस्जिद के टुकड़ों को रख सकें।
बांध के डूब क्षेत्र में आ रही थी मस्जिद
– इयुबी मस्जिद हसनकैफ शहर में थी। यहां तुर्की का चौथा सबसे बड़ा बांध इलीसु बनाया जा रहा है। विशेषज्ञों ने मस्जिद को बांध के डूब क्षेत्र में करार दिया था। इसके बाद मस्जिद के दो हिस्सों को भी इसी साल अन्य जगह पर शिफ्ट कर दिया गया था।
– 2500 टन वजनी मस्जिद के हिस्से को 300 पहियों वाले शक्तिशाली रोबोट के जरिए न्यू कल्चरल पार्क फील्ड में स्थापित किया गया। इस जगह पर ऐतिहासिक महत्व की इमारतों को संरक्षित किया जाता है।
– हसनकैफ के मेयर अब्दुलवहाप कुसेन ने कहा, ‘‘बाढ़ के पानी से ऐतिहासिक महत्व की इमारतें खराब न हों, इसलिए उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है।’’ हसनकैफ को 1981 से एक संरक्षित शहर का दर्जा दिया गया है। यहां करीब छह हजार गुफाएं और बाइजेंटाइन युग का एक किला है।
4 हजार साल पुराना है हसनकैफ
इतिहासकारों की मानें तो हसनकैफ नौ सभ्यताओं का साक्षी रहा है। शहर का उल्लेख ईसा पूर्व 2000 साल के लेखों में मिलता है। बांध बनाते वक्त यूरोपीय बैंकों ने तुर्की को हिदायत दी थी। उनका कहना था कि इस काम में वर्ल्ड बैंक की शर्तों का पालन होना चाहिए। ऐतिहासिक महत्व की इमारतों और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो कोई भी बैंक बांध बनाने के लिए रकम नहीं देगा।
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Source: bhaskar international story